बुधवार, जुलाई 29, 2009

बरसात

पहले हर बरसात में भीगता था ,
जब से अमीर हुआ ,
बरसात में भीगने का एहसास भूल गया ,
कार में बैठ के ,बरसात देखता ,
ड्राईवर मेरा छतरी लिए खडा रहता ,
भीगना गरीबी की निशानी है ....?
समझ गया मैं ,क्यों नहीं पैसे वाले भीगते ---?
अब गरीब होना चाहता ,पर हो नही सकता ,
घर वाले होने नहीं देगें ,
अब रास्ता एक है ........,
सब छोड़ कर भाग जाओ कहीं ,
पहचान न पाए कोई ,
भीख मांग कर गुजारा करना ,
नोकरी भूल कर मत करना ,
सच कहता हूँ ...........,
भीगने का बडा मज़ा आएगा ,
भिक्छुक बन कर जीना जैसे ........बुद्ध जिए थे ,

कोई टिप्पणी नहीं: