मंगलवार, दिसंबर 01, 2009

९१ कोजी होम

१५ अगस्त का दिन था ....हम सभी लोगो ने आज का दिन झंडा फहरा के मनाया ....निर्माता ने सभी के लिए मिठाई मंगवाई .......और वह भी जापान की अपनी मिठाई थी ......जो यहाँ के लोग खाते हैं । आप लोगों को सुन कर झटका लगे गा ,यह कोई और मिठाई नहीं थी ....बल्की हिदुस्तानी बालूसाही मिठाई थी ......आज के दिन शूटिंग नहीं थी ......हम सभी लोग जो डालर लाये थे वह सब खर्च हो गया था .......निर्माता को हम सभी लोगों को ,पाकेट मनी देना था वह अभी तक नही दिया था .....उस समय एक सौ यान का एक टिन कोक मिलता था ...हम सभी लोगों को ५०० यान डेली देना था उसे ..... यूनिट के लोग मांग कर रहे थे .....मैं निर्देशक था ....तो मुझे क्या देगा मुझे नही मालूम था ....पर हिदुस्तान से चलने से पहले मुझसे वादा किया था .....मैं आपको एक यादगार चीज दूंगा .....वह क्या होगा मुझे नहीं मालूम था .....यूनिट के लोग उससे (निर्माता ) से झगड़ने लगे .....एक चालाकी निर्माता ने किया था सब का पासपोर्ट अपने पास रख लिया था ....झगडा कुछ इस हद तक बढ़ गया .....आवाज सडक तक जाने लगी .....यहाँ पुलिस बहुत जल्दी आ जाती है ....यह डर निर्माता को सताने लगा .....और वह सब को पैसा देने को राजी हो गया .......छे -सात हजार यान सब के हाथों में था .....और सभी निकल गए घूमने के लिए ......मैं होटल
में अकेला रह गया .......

कमरे में मैं सो गया ......एक जन्म दिन का कार्ड लिया ....जगने पे ....होटल के नीचे एक दूकान थी उसी से .....गुलज़ार साहब का जन्म दिन था १८ अगस्त को है .....मैंने सोचा उनको जापान से जन्म दिन की मुबारक बाद दूंगा तो ...उन्हें अच्छा लगे गा .......कुछ देर बाद .....सोचने लगा चलो पैदल ही घूम कर आता हूँ ...तैयार हुआ तभी

मेरा जापानी सहायक आ गया .....मुझे अकेले देख कर बोला .....आप कहीं घूमने नही गये ?
......मेरेपास पैसे ही नहीं थे कहाँ जाता ...... मैं चुप ही रहा ....फ़िर कुछ सोच कर वह बोला ......मैं आप को जापान दिखाता हूँ .....मैं उसके साथ चल दिया ...हम ओसाका गये .....वहाँ एक बार में वह मुझे ले गया ....और कहने लगा वगैर दो पैग लिए जापान घूमने का मजा नही है .....हम सड़कों पे घूमते रहे ...हर तरफ मीना बाज़ार लगा हुआ था
खूबसूरत जापानी लडकियाँ ...उनके सुंदर लम्बे -लम्बे बाल जो उनकी कमर तक जा रहे थे ....उस रात बहुत करीब से मैंने जापान को देखा .....इन सब में एक बात जो सबसे खूबसूरत थी ...कहीं कोई झूट -झाठ की लपेट नहीं है
प्यार तो उनके रोम -रोम में बसा है .......सुबह करीब पांच बजे हम दोनों होटल पहुंचे ....और सुबह शूटिंग भी थी

( जारी )

2 टिप्‍पणियां:

Dr. Vimla Bhandari ने कहा…

Apki Post Achhi lagi. Khulker Bade Akshero me likhiye na.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपकी जापान यात्रा की दिलचस्प कड़ियाँ जारी रखिये...मुझे पहला वाला जापान अब वाले से बहुत पसंद आता है...अब तो बहुत कुछ बदल गया है वहां...
नीरज