बुधवार, जनवरी 06, 2010

९१ कोजी होम

बात सन ७७ की है , उस वक्त मेराज साहब गुलज़ार साहब के मुख्य सहायक थे । एक

निर्माता गुलज़ार साहब को साईन करने आया ,अपनी अगली फिल्म के लिए वतौर लेखक और

निर्देशक । निर्माता का नाम तो याद नहीं आ रहा है ....कुछ देर बाद मेराज साहब को गुलज़ार साहब ने

अपने कमरे में बुलाया ......और निर्माता से कहा ,निर्देशक का काम आप मेराज को सौंप दें ,लेखन का

काम मैं कर लूंगा .......

निर्माता चाहता था ....गुलज़ार साहब को ही लेना ......पर वह बड़े धर्म संकट में पड़गया

आखिर गुलज़ार साहब की बात माननी पड़ी .......मेराज निर्देशक बन गये ....और फिल्म का लेखन

और गीत लिखने का काम खुद गुलज़ार साहब करने लगे .....फिल्म का नाम था "पलकों की छावं में "

पर सब से आश्चर्य की बात यह है .......जब पैसे की बात हुई ,तो गुलज़ार साहब ने कहा

निर्देशक किसी भी फिल्म का सब से मुख्य आदमी होता है ...इस लिए मुझसे से ज्यादा पैसा मेराज को मिलना चाहिए ......और हुआ भी वही .......निर्माता को देना ही पड़ा

मुझे गुलज़ार साहब का यह जेस्चर बहुत ही सुन्दर लगा .....इस फिल्म में उस समय

का सुपर स्टार राजेश खन्ना जी थे ....और हेमा मालनी जी थी उनके साथ ...संगीत यल .पी .जी का

था ....

मुझे मेराज जी के निर्देशक बनने से एक फायदा हुआ ...मैं पांचवे से तीसरा सहायक बन गया गुलज़ार साहब का ....मेराज महीने भर में जाने माने निर्देशकों की गिन्नती में आगये ...और एक बाद

एक फिल्म साईन करने लगे ....

इस फिल्म का एक गाना बहुत हिट हुआ था उस वक्त ....बोल थे "डाकिया डाक लाया "





1 टिप्पणी:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बहुत रोचक पोस्ट...गुलज़ार साहब की शक्शियत और बुलंद करती हुई...लिखते रहें...
नीरज