गुरुवार, जनवरी 07, 2010

९१ कोजी होम

मैं सन ७३ से ले कर सन ९९ तक उनके साथ सहायक रहा ....जिस भी घटना का जिक्र करता हूँ

वह इसी दौर की हैं ....वैसे आज भी हमारा मिलना जुलना पहले जैसा ही है ....आज तक मुझे उनमें

कोई भी अवगुन नजर नहीं आया .....कोई भी उनके बारे में बुरा बोलता है तो ...उसकी अपनी जलन

अपनी ईर्ष्या ....जिसको वह सह नहीं पाता और अनाप -सनाप बोलने लगता है ....मिलते वो बहुतों से

दिल में जगह बहुत कम लोगों को देते हैं ,,,,अक्सर लोग उनसे बहुत उम्मीद करने लगते हैं ....और यहीं

पे वह गलती कर जाते हैं .....

सन ८० की बात है ....मेरी बेटी का पहला जन्म दिन था .....मैंने उसका जन्म दिन

बहुत धूम से मनाया था ...गुलज़ार साहब भी आये थे ...और मेरे सभी दोस्त भी आये थे ..आज भी वह

फोटो है मेरेपास है जब गुलज़ार साहब ने मेरी बेटी को गोद में ले कर प्यार किया था......


सन २००६ आया मेरी बेटी का ब्याह तै हो गया था .....और शादी में गुलज़ार साहब

और राखी जी भी आयी ......मुझे इन दोनों लोगों को देख कर बहुत आनन्द आया .....घंटो बैठे रहे ...

और बेटी को इतना महंगा उपहार दे कर गये .....जैसे कृषणभगवान् ने सुदामा को दिया था ....


4 टिप्‍पणियां:

pallavi trivedi ने कहा…

अच्छा संस्मरण है! आपके लिए निश्चित रूप से सहेजने लायक!

अजय कुमार ने कहा…

भावुक संस्मरण

Sheikh Baaqar Ali Chirkeen ने कहा…

nice blog

VOICE OF MAINPURI ने कहा…

आप का ब्लॉग मैं बीते तीन दिन से लगातार पढ़ रहा हूँ.मैं पहली बार किसी के ब्लॉग को इतनी गम्भीरता और मान से पढ़ रहा हूँ जब भी फुर्सत मिलती में आप के ब्लॉग पर आ जाता हूँ.बेहद रोचक है.गुलज़ार साहब मेरे भी अज़ीज़ है.लेखन के मामले में हजरत अमीर खुसरो के बाद में उनको हिंदुस्तान का दूसरा बड़ा लेखक मानता हूँ.छोटे और आम बोल- चाल के शब्दों को जिस तरह से वे पेश करते है...कमाल है.बाकी में आप का ब्लॉग अभी पढ़ ही रहा हूँ.......