किसी को जीतने के लिए ........तारीफ़ करो ॥
तारीफ़ में प्रासाद होना भी चाहिए ....
भगवान् भी ...बिना भोग के खुश नहीं होते
पति भी वगैर नास्ते के आफिस गया ॥
रिश्ते में एक आंच आनी शुरू हो जाती
भूखे मत भेजो उसे .......
अपनी तारीफ सुननी हो ......भर पेट भेजना ।
यह नसीहत नहीं ......एक सोच है
फूलों से हमे भी प्यार ...कल्पनाओं में जीना हमे भी आता है
तोड़ के फूल गुलदस्ते मत लगाना ,
हो सके एक गमला खरीद लो ....पौधा उसी में लगाना
फिर अपने अन्दर खुशी क़ा माहौल देखना ..........
एक वादा करो ......एक गमले क़ा .........
जब मिलना .....तो उसमें खिले फूल की चर्चा जरुर करना । । .
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