जब मैं बहुत छोटा था
कुछ न कुछ समझ थी
किसी कवि ने कहा था
बड़ा हुआ तो क्या हुआ
जैसे पेड़ खजूर
पंछी को छाया नहीं
फल लागे अति दूर
आज पता नहीं कैसे याद आ गयी यह लाईने
लगा अपने आप पे ही यह याद आगयी ...........
लगता है मैं किसी को .....कुछ दे पा नहीं रहा हूँ
मेरे गुरु कहते हैं अपनी कमाई का बीस प्रतिशत
गरीबो में या उचित व्यक्ति को दे देना चाहिए ...
आप क़ा ख्याल है ..........?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें