मेरे बचपने की यह दूसरी फिल्म थी .....
जिसमें किशोर कुमार जी हीरो थे ......
लखनऊ के प्रिंश थेटर में लगी थी ......बचपन के
दोस्त विजय अबरोल था ......
घर आ कर पहली बार झूठ बोला ..........फिल्म देखने नहीं
गया ,फिर जो यह शिलशिला चला कभी ख़त्म नहीं हुआ
...............जब फिल्म की पढाई करने पूना आया तब कहीं
जा के मेरे शौक के बारे में .......माता -पिता को मालूम हुआ
मुझे फिल्म से कितना लगाव है
........आज मैं अकेला खडा हूँ ...........
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