हम दोनों की कहानी तेरह साल की उम्र से शुरू हुई थी , दोनों सातवीं क्लास में फेल हुए थे। तभी से
हमारा साथ हुआ था ,उसका नाम अरविंद खरे ,और मेरा शरद जोशी मैं पहाड़ का रहने वाला था ,बाबू जी
पी ,डब्लू ,डी में कलर्क थे। हम दोनों के बारे में कोई तीसरा कहे तो ज्यादा अच्छा होगा ,वह निष्पक्ष होगा
तभी हमारी दोस्ती के बारे में कुछ सही लिख सकेगा ………। फिर मैंने अपने दोस्त गुरबचन सिंह से बात की वह एक अच्छा लेखक था ,कई मैगजीनों में छप चुका था।वह मान गया ,वह हम दोनों को बचपन से ही
जानता था ,चाहे वह हम दोनों का इश्क हो या हमारी पढ़ाई -लिखाई हो। हम दोनों की शादी का गवाह भी था
बच्चो के मुंडन ,ब्याह शादी जगह उपस्थित था ,मतलब उससे कुछ छुपा नहीं था अब वह ही आगे की कहानी
कहेगा |
यह दोनों दोस्त इतने करीब थे ,तेरह साल की उम्र में कोई लड़की पसंद आयी तो ,दोनों को एक ही लड़की से प्यार कर बैठे, जो उनके साथ उनके क्लास में ही पढ़ती थी ,वह हमेसा अगली सीट पे बैठती थी इन दोनों का पहला लव मीना थी ,जो उनके साथ एक ही साल साथ पढ़ी ,दूसरे साल उसके घर वालो ने ,पास के जुबली गर्ल्स स्कूल में लिखा दिया लेकिन इन दोनों ने उसका पीछा करना नहीं छोड़ा …………… ।घर तक मालूम
कर लिया था ,घर में कितने भाई -बहन है बाप क्या करता है ,होली में इसके मुहल्ले में जा कर होली खेलना
एक बार मीना के बाप से मार खाते -खाते बचे थे ,उसी उम्र में , मीना के और आशिक की धुलाई करना मतलब
मार -पीट कर लेना।
आज साठ साल बाद ,दोनों दोस्त सत्तर से ऊपर हो चुके हैं ,शादी भी हो चुकी ,एक ही मुहल्ले में
रहते हैं, दोनों के अपने -अपने मकान हैं खरे साहब के घर में उनकी पत्नी दो बेटे चार बेटियाँ हैं ,लेकिन सब
की शादी हो चुकी ,सभी बाल बच्चे वाले हो चुके हैं ,बेटियाँ अपने घरो में हैं। उनके साथ दो बेटे विमल और अजय साथ रहते हैं अजय सबसे छोटा है , नहीं -नहीं विमल छोटा है पत्नी को कैंसर है ,डाक्टरों ने कह दिया ,बस साल भर की बात है जितने सुख इन्हे देना है दे दीजिये |
रात का कोई नौ बजा है खरे साहब घर से निकल के सड़क पे आते हैं ,नुक्कड़ की दुकान पर पहुँचते
हैं ,जहाँ जोशी जी (शरद )पहले से खड़े इन्हीं का इन्तजार कर रहे थे ,आज देर हो गयी ,क्या बात है ? नहीं वह शांती को दवाई खिलानी थी ,आज बहुत पेन में थी । पनवाड़ी ने दो सिगरेट निकाल के एक एक दोनों दोस्तों को दी दोनों ने सिगरेट जलाई और लगे पीने ,खरे ने एक काश खींचा और कहना शुरू किया ,एक दुःख ख़त्म होता नहीं दुसरा शुरू हो जाता । अब क्या हुआ ? अजय बड़े वाले साहब कह रहे हैं मकान हम दोनों भाईओं के नाम लिख दें.…… तू यार अच्छा है , तेरे कोई औलाद नहीं है ,पत्नी का भी ग़म नहीं, दस साल पहले तुझे छोड़ के स्वर्ग सिधार गयी। पर मेरी एक बात याद रखना अपने जीते जी मकान अपने नाम ही रखना ,बच्चों के नाम लिखने की गलती मत करना ………। पनवाड़ी दुकान बंद करने लगा ,तभी जोशी जी ने पूछ लिया
क्या हमारा इन्तजार करते हो ,जब तक हम लोग आते नहीं ,तब तक दुकान बंद नहीं करते ? बाबू जी कह के
गए थे ,जब तक जोशो जी खरे जी ना आएं दूकान बंद नहीं करना ,उनको सिगरेट पिला देना फिर बंद करना
दोनों दोस्त ने सिगरेट ख़त्म की और घर की तरफ चल दिए ,दोनों एक ही मुहल्ले में रहते हैं गालियाँ
अलग हैं ,दोनों के अपने -अपने मकान है दोनों ने साथ ही साथ खरीदा था ,जोशी खरीदना नहीं चाहता था खरे
की जिद्द के आगे उसकी नहीं चली ,इस मकान को ले कर जोशी के पिता बहुत नराज थे ,वह चाहते थे भुआली में जगह लेना ,नैनीताल के बंगले को होटल बना देना चाहते थे ,इसी बात को लेकर कई सालों तक आपस में
बात -चीत नहीं थी ,दोनों की शादियाँ आगे -पीछे हुई थी। पहले जोशी की हुई थी जब वह बारवहीं क्लास में था
जिसकी शादी में मैं भी गया था और क्लास के और लड़के भी गए थे ,नैनीताल घूमने को जो मिल रहा था ,हम
सभी दोस्तों को तभी पता लगा ,शरद का अपना बँगला भी है जो उसके दादा जी ने किसी अंग्रेज से लिया था
जब हिदुस्तान आजाद हुआ था। आज भी वह बँगला है दोनों दोस्त गर्मिओं में यहाँ छुटियाँ मनाने जाते थे।
शरद जोशी जब अपने घर पहुंचा ,गेट खोल के अंदर गया ,उसको ऐसा महसूस हुआ ,घर में कोई है
कुछ कमरों की लाईट जल रही थी। पत्नी को मरे दस साल हो चुके है कोई औलाद है नहीं एक मेड है जो रात में अपने घर चली जाती है खाना ,नास्ता वही ही बनाती है। घर के अंदर की सभी लाइट बुझा के अपने कमरे में सोने गया। खरे के कहने पे एक बार एक किरायेदार लड़की रखी जो एयरहोस्टेज थी ,अक्सर घर से बाहर रहती है ,एक दो बार जोशी जी ने उसके साथ बाहर की शराब भी पी थी ,घर में और डांस भी किया था ,यह सब
बाते खरे को भी बतलाई थी ,उसका भी दिल मचला था ,और फिर एक दिन पुलिस आयी और उसको पकड़ के ले गयी। जुर्म था ,उसने कुछ महीने पहले किसी बूढ़े को ठगा और उसका खून कर दिया था ,और घर का सारा धन ले के उड़ गयी थी ,तभी से पुलिश उसकी तलाश में थी और पकड़ के ले गयी। पुलिस जोशी जी को समझा के गयी ,अपने बुढ़ापे का ख्याल रखो ,इस तरह के किरायेदार न ही रखे ,और रखने से पहले पुलिस को इत्तला
जरूर कर दें। शरद यही सब सोचता हुआ सोने लगा ,बार -बार एयरहोस्टेज का ख्याल आ रहा था ,दिखने में
कहीं भी उसके चेहरे पे चालाकी बदमासी नजर नहीं आती थी ,फिर वह यह सब कैसे करती थी ? कब उसकी
आँख लग गयी पता नहीं चला।
रात का कोई दो बजा था ,किचन में बर्तन गिरने की आवाज आई ,जोशी जी उठ के ,कमरे की लाइट
जलाई और किचन की तरफ गए ,किसी ने उनके ऊपर पिस्तौल तान ली ,बोलने लगा चिल्लाने की कोशिश
की तो गोली मार दूंगा ,मैं सिर्फ चाय पीना चाहता हूँ ,या पिला दो मुझे या बनाने दो ! जोशी जी कुछ समझते
बुझते ,बोल पड़े मैं बना देता हूँ ,और लगे बनाने ,और डरे हुए सोचते रहे ,क्या किया जाय। वह बदमाश वहीं
किचेन में खड़ा ही रहा ,वह बदमाश तभी बोल पड़ा , बड़े रशिया हो बुढऊ ,बहुत लौन्डिओ की फोटो रखी है
एक फोटो मुझे बहुत पसंद आयी उसे ले जा रहा हूँ ,जोशी जी चाय छान चुके थे सोचने लगे कौन सी फोटो ली है ,चाय उसकी तरफ बढ़ाई ,और एक खुद ली ,तभी पूछा दिखाओ कौन सी फोटो ली है ?दोनों कमरे में आ गए। चोर ने वह फोटो दिखलाई जिसे इसने जेब में रखी थी। जो अब मुड़ चुकी थी ,फोटो इनके बचपन की गर्लफ्रेंड
मीना की थी जिसे आज तक दोनों दोस्त चाहते है ,जोशी बोल पड़े ,अरे भाई यह फोटो दे दो इसके बदले कुछ
और ले लो। क्यों ? इसमें ऐसा क्या है ? निशानी है किसी की ,यह दे दो मुझे। चोर लगा इसे फाड़ने यह देख के जोशी उस पे झपट पड़ा और गर्म चाय उस पर फेंक दिया ,चोर तिलमिला गया और जोशी को मारने बढ़ा और
पैर में घर का क्लीन फंस गया चोर मुहँ के बल गिरा और उसका सर सोफे के कोने से जा लगा चोर चिल्लाया
और बेहोश हो गया ,जोशी जी ने फोटो ली और ठीक से पास किताब में रखा अब सोचने लगे क्या किया जाय ,
तभी चोर को होश आने लगा ,कुछ सोच के एक ग्लास में पानी लिया उसमे कुछ मिलाया और चोर को कहा यह पी लो पानी है चोर के सर से खून भी बाह रहा था। पानी पी के चोर उठने लगा ,जोशी जी कहने लगे यहाँ
आराम से बैठ जाओ। चोर पास के सोफे पे बैठ गया और आँखे बंद के आराम करने लगा ,और फिर सो गया
जोशी ने अपने दोस्त खरे को फोन किया ,और कहा मेरे घर जल्दी आ जाओ मेरी जान खतरे में है
हमारा साथ हुआ था ,उसका नाम अरविंद खरे ,और मेरा शरद जोशी मैं पहाड़ का रहने वाला था ,बाबू जी
पी ,डब्लू ,डी में कलर्क थे। हम दोनों के बारे में कोई तीसरा कहे तो ज्यादा अच्छा होगा ,वह निष्पक्ष होगा
तभी हमारी दोस्ती के बारे में कुछ सही लिख सकेगा ………। फिर मैंने अपने दोस्त गुरबचन सिंह से बात की वह एक अच्छा लेखक था ,कई मैगजीनों में छप चुका था।वह मान गया ,वह हम दोनों को बचपन से ही
जानता था ,चाहे वह हम दोनों का इश्क हो या हमारी पढ़ाई -लिखाई हो। हम दोनों की शादी का गवाह भी था
बच्चो के मुंडन ,ब्याह शादी जगह उपस्थित था ,मतलब उससे कुछ छुपा नहीं था अब वह ही आगे की कहानी
कहेगा |
यह दोनों दोस्त इतने करीब थे ,तेरह साल की उम्र में कोई लड़की पसंद आयी तो ,दोनों को एक ही लड़की से प्यार कर बैठे, जो उनके साथ उनके क्लास में ही पढ़ती थी ,वह हमेसा अगली सीट पे बैठती थी इन दोनों का पहला लव मीना थी ,जो उनके साथ एक ही साल साथ पढ़ी ,दूसरे साल उसके घर वालो ने ,पास के जुबली गर्ल्स स्कूल में लिखा दिया लेकिन इन दोनों ने उसका पीछा करना नहीं छोड़ा …………… ।घर तक मालूम
कर लिया था ,घर में कितने भाई -बहन है बाप क्या करता है ,होली में इसके मुहल्ले में जा कर होली खेलना
एक बार मीना के बाप से मार खाते -खाते बचे थे ,उसी उम्र में , मीना के और आशिक की धुलाई करना मतलब
मार -पीट कर लेना।
आज साठ साल बाद ,दोनों दोस्त सत्तर से ऊपर हो चुके हैं ,शादी भी हो चुकी ,एक ही मुहल्ले में
रहते हैं, दोनों के अपने -अपने मकान हैं खरे साहब के घर में उनकी पत्नी दो बेटे चार बेटियाँ हैं ,लेकिन सब
की शादी हो चुकी ,सभी बाल बच्चे वाले हो चुके हैं ,बेटियाँ अपने घरो में हैं। उनके साथ दो बेटे विमल और अजय साथ रहते हैं अजय सबसे छोटा है , नहीं -नहीं विमल छोटा है पत्नी को कैंसर है ,डाक्टरों ने कह दिया ,बस साल भर की बात है जितने सुख इन्हे देना है दे दीजिये |
रात का कोई नौ बजा है खरे साहब घर से निकल के सड़क पे आते हैं ,नुक्कड़ की दुकान पर पहुँचते
हैं ,जहाँ जोशी जी (शरद )पहले से खड़े इन्हीं का इन्तजार कर रहे थे ,आज देर हो गयी ,क्या बात है ? नहीं वह शांती को दवाई खिलानी थी ,आज बहुत पेन में थी । पनवाड़ी ने दो सिगरेट निकाल के एक एक दोनों दोस्तों को दी दोनों ने सिगरेट जलाई और लगे पीने ,खरे ने एक काश खींचा और कहना शुरू किया ,एक दुःख ख़त्म होता नहीं दुसरा शुरू हो जाता । अब क्या हुआ ? अजय बड़े वाले साहब कह रहे हैं मकान हम दोनों भाईओं के नाम लिख दें.…… तू यार अच्छा है , तेरे कोई औलाद नहीं है ,पत्नी का भी ग़म नहीं, दस साल पहले तुझे छोड़ के स्वर्ग सिधार गयी। पर मेरी एक बात याद रखना अपने जीते जी मकान अपने नाम ही रखना ,बच्चों के नाम लिखने की गलती मत करना ………। पनवाड़ी दुकान बंद करने लगा ,तभी जोशी जी ने पूछ लिया
क्या हमारा इन्तजार करते हो ,जब तक हम लोग आते नहीं ,तब तक दुकान बंद नहीं करते ? बाबू जी कह के
गए थे ,जब तक जोशो जी खरे जी ना आएं दूकान बंद नहीं करना ,उनको सिगरेट पिला देना फिर बंद करना
दोनों दोस्त ने सिगरेट ख़त्म की और घर की तरफ चल दिए ,दोनों एक ही मुहल्ले में रहते हैं गालियाँ
अलग हैं ,दोनों के अपने -अपने मकान है दोनों ने साथ ही साथ खरीदा था ,जोशी खरीदना नहीं चाहता था खरे
की जिद्द के आगे उसकी नहीं चली ,इस मकान को ले कर जोशी के पिता बहुत नराज थे ,वह चाहते थे भुआली में जगह लेना ,नैनीताल के बंगले को होटल बना देना चाहते थे ,इसी बात को लेकर कई सालों तक आपस में
बात -चीत नहीं थी ,दोनों की शादियाँ आगे -पीछे हुई थी। पहले जोशी की हुई थी जब वह बारवहीं क्लास में था
जिसकी शादी में मैं भी गया था और क्लास के और लड़के भी गए थे ,नैनीताल घूमने को जो मिल रहा था ,हम
सभी दोस्तों को तभी पता लगा ,शरद का अपना बँगला भी है जो उसके दादा जी ने किसी अंग्रेज से लिया था
जब हिदुस्तान आजाद हुआ था। आज भी वह बँगला है दोनों दोस्त गर्मिओं में यहाँ छुटियाँ मनाने जाते थे।
शरद जोशी जब अपने घर पहुंचा ,गेट खोल के अंदर गया ,उसको ऐसा महसूस हुआ ,घर में कोई है
कुछ कमरों की लाईट जल रही थी। पत्नी को मरे दस साल हो चुके है कोई औलाद है नहीं एक मेड है जो रात में अपने घर चली जाती है खाना ,नास्ता वही ही बनाती है। घर के अंदर की सभी लाइट बुझा के अपने कमरे में सोने गया। खरे के कहने पे एक बार एक किरायेदार लड़की रखी जो एयरहोस्टेज थी ,अक्सर घर से बाहर रहती है ,एक दो बार जोशी जी ने उसके साथ बाहर की शराब भी पी थी ,घर में और डांस भी किया था ,यह सब
बाते खरे को भी बतलाई थी ,उसका भी दिल मचला था ,और फिर एक दिन पुलिस आयी और उसको पकड़ के ले गयी। जुर्म था ,उसने कुछ महीने पहले किसी बूढ़े को ठगा और उसका खून कर दिया था ,और घर का सारा धन ले के उड़ गयी थी ,तभी से पुलिश उसकी तलाश में थी और पकड़ के ले गयी। पुलिस जोशी जी को समझा के गयी ,अपने बुढ़ापे का ख्याल रखो ,इस तरह के किरायेदार न ही रखे ,और रखने से पहले पुलिस को इत्तला
जरूर कर दें। शरद यही सब सोचता हुआ सोने लगा ,बार -बार एयरहोस्टेज का ख्याल आ रहा था ,दिखने में
कहीं भी उसके चेहरे पे चालाकी बदमासी नजर नहीं आती थी ,फिर वह यह सब कैसे करती थी ? कब उसकी
आँख लग गयी पता नहीं चला।
रात का कोई दो बजा था ,किचन में बर्तन गिरने की आवाज आई ,जोशी जी उठ के ,कमरे की लाइट
जलाई और किचन की तरफ गए ,किसी ने उनके ऊपर पिस्तौल तान ली ,बोलने लगा चिल्लाने की कोशिश
की तो गोली मार दूंगा ,मैं सिर्फ चाय पीना चाहता हूँ ,या पिला दो मुझे या बनाने दो ! जोशी जी कुछ समझते
बुझते ,बोल पड़े मैं बना देता हूँ ,और लगे बनाने ,और डरे हुए सोचते रहे ,क्या किया जाय। वह बदमाश वहीं
किचेन में खड़ा ही रहा ,वह बदमाश तभी बोल पड़ा , बड़े रशिया हो बुढऊ ,बहुत लौन्डिओ की फोटो रखी है
एक फोटो मुझे बहुत पसंद आयी उसे ले जा रहा हूँ ,जोशी जी चाय छान चुके थे सोचने लगे कौन सी फोटो ली है ,चाय उसकी तरफ बढ़ाई ,और एक खुद ली ,तभी पूछा दिखाओ कौन सी फोटो ली है ?दोनों कमरे में आ गए। चोर ने वह फोटो दिखलाई जिसे इसने जेब में रखी थी। जो अब मुड़ चुकी थी ,फोटो इनके बचपन की गर्लफ्रेंड
मीना की थी जिसे आज तक दोनों दोस्त चाहते है ,जोशी बोल पड़े ,अरे भाई यह फोटो दे दो इसके बदले कुछ
और ले लो। क्यों ? इसमें ऐसा क्या है ? निशानी है किसी की ,यह दे दो मुझे। चोर लगा इसे फाड़ने यह देख के जोशी उस पे झपट पड़ा और गर्म चाय उस पर फेंक दिया ,चोर तिलमिला गया और जोशी को मारने बढ़ा और
पैर में घर का क्लीन फंस गया चोर मुहँ के बल गिरा और उसका सर सोफे के कोने से जा लगा चोर चिल्लाया
और बेहोश हो गया ,जोशी जी ने फोटो ली और ठीक से पास किताब में रखा अब सोचने लगे क्या किया जाय ,
तभी चोर को होश आने लगा ,कुछ सोच के एक ग्लास में पानी लिया उसमे कुछ मिलाया और चोर को कहा यह पी लो पानी है चोर के सर से खून भी बाह रहा था। पानी पी के चोर उठने लगा ,जोशी जी कहने लगे यहाँ
आराम से बैठ जाओ। चोर पास के सोफे पे बैठ गया और आँखे बंद के आराम करने लगा ,और फिर सो गया
जोशी ने अपने दोस्त खरे को फोन किया ,और कहा मेरे घर जल्दी आ जाओ मेरी जान खतरे में है
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