रविवार, सितंबर 18, 2022

भोर काल

सुबह का 4:00 बजा हुआ था ,अचानक मेरी आंख खुली बाहर देखा तो बहुत कस कर बारिश हो रही थी। तभी बादलों के बीच से एक तेज रोशनी मेरी तरफ आती हुई दिखी, मैं घबरा गया और पास पड़ी हुई चादर से मुंह छुपा लिया और कोशिश की सोने की, पर एक डर अंदर छुपा हुआ था । मैं सोचने लगा रोशनी कमरे में आकर क्या कर रही है। थोड़ी देर बाद आंखें खोली तो एक चमकता हुआ इंसान खड़ा हुआ था ना उसके पैर थे, ना उसकी आंखें ,थी ना सर, बस एक गोल सा चक्र घूम रहा था। जिसके अंदर वह छुपा बैठा था ।मैंने उससे जानने की कोशिश की कि तुम किस शहर से आए हो, फिर वह कुछ बोलने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था ।जैसे कोई साज आवाज करता है वैसे उसकी आवाज थी, मैं कुछ समझ नहीं सका और फिर जिस तरह से आया था, उसी तरह तेजी से आसमान की तरह उड़ गया ।

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