बुधवार, मई 20, 2009

कोजी होम ९१

यह बात सन ७२ की है गुलजार साहब , उस किताब देखने लगे , कुछ देर बाद ,मेरी तरफ देख कर पूछा ,क्या लोगे ,मेरा जवाब सुनने से पहले ,अकबर ,अकबर ,कह के किसी को बुलाया वही आदमी आ कर खडा हो गया जिसने दरवाजा खोला था ,उस को दो चाय लाने को कहा
फिर मेरी तरफ देख कर कहा ,मेरा रामलालजी को शुक्रिया कहना ,फ़िर मेरी तरफ मुखातिब हो कर पूछा ,तुम क्या करते हो ? मैं कुछ बोलता ,अकबर चाय ले कर आ गया मैंने चाय ली ,और अपने बारे में बताना शुरू किया तभी मुझे राम लाल जी की कही बात याद आ गई ,बड़े लोगो के सामने कम बोलना चाहिये मैं चुप -चाप चाय पीने लगा {यह मेरी पहली मुलाकात थी गुलजार साहब से }

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