गुरुवार, मई 21, 2009

दूसरा प्यार

मेरे घर में, चिडिवों का उड़ कर ,आना- जाना,
मेरे घर को अपना घर बना लेना ,
उनके रहने से ,उनसे प्यार हो जाना ,
अक्सर उनके परिवार को देखती ,
उस जोड़ओं को देखती ,
दो साल हो गए, रहते उन्हे ,
कितने बच्चे हुए - सब उड़ कर ,
कहाँ चले गए - पता नहीं ,
चिडिया - चिडा आज भी उसी घर में रहते हैं
मेरे पति को किसी से प्यार हो गया ,
वो यह घर मुझे दे कर ,कहीं दूर जा बसे ,
अब मैं अकेली इस घर में रहती हूँ
उस चिडिया के जोड़ी को देख कर
मुझे अपने पति पे गुस्सा आता है ,
वो चिडिया ,अक्सर मुझे अकेला देख कर,
मेरे पास आ के फुदकती है ,मेरे आस पास ही उड़ती है ,
जैसे मझे खुस करने के लिए , मुझे नाच दिखाती है
उसकीभास्षा अब मैं पढने लगी हूँ ,
अक्सर वो मुझसे बीती बातें करती है ,
मेरे दुःख को सुनती है ,
अपनी दोनों आंखों से , रो भी लेती है ,
एक दिन मझसे कहने लगी ,मैं उसके चिडे से बयाह कर लूँ ,
वो सारी खुसी देगा , कुछ -बच्चे ,बचियाँ भी देगा
पहली बार उसकी दिलेरी पे ,खूब हँसी आई
अब मैं उस चिडे के साथ रहती हूँ
उसके बच्चो को देखती हूँ उनकी सेवा करती हूँ
मेरा अकेला पनं दूर हो गया
पहले की तरह अब खुस रहने लगी हूँ

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