बुधवार, मई 13, 2009

उजला chand

फिर उजला चाँद खिला है
जब भी देखा
मुस्कराता हुआ देखा
क्या राज है उसकी खुसी का
चाँद पे पहुंच के bar
इक बार पुछुगा जुरुर उससे

कोई टिप्पणी नहीं: