भंगार By Ram Lakhan Mishra
बुधवार, मई 13, 2009
उजला chand
फिर उजला चाँद खिला है
जब भी देखा
मुस्कराता हुआ देखा
क्या राज है उसकी खुसी का
चाँद पे पहुंच के bar
इक बार पुछुगा जुरुर उससे
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