बिखरे पलों की कुछ यादें जोड़ रखी हैं
जो आसुंओं से लिखी थी ,
एक पुरानी तख्ती पे ,
कई शब्दों की बुनाई ,समय से ज्यादा मजबूत थी
जो मिटने पे नही मिटती ,
यादों के पन्नों को ,आज फ़िर से पढ़ने को ,
मन करने लगा ,
कुछ सोच के उस तख्ती को आज ,
गंगा जी में विसर्जित कर दूंगा
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