शुक्रवार, मई 29, 2009

नाम मेरा

दो हाथों को जोड़ के ,मैंने अपना नाम बताया
राम लखन लोग मुझको कहतें हैं
पर गुरु मेरे मुझे , राम लाल बुलातें हैं
राम लखन जैसे कोई गुण,मुझ में नही
ना शांत हूँ ना क्रोधी हूँ
मुझ जैसा इन्सान जीवन में ,बहुत कुछ नही कर पाता
या तो राम बनो
या फ़िर लखन जैसा
एक ही नाम रखने में समझदारी होती है
एक ही नाम में ,राम ने रावण को मारा
और लखन ने की भाई -भाभी की सेवा
फ़िर मुझे लगा ,ना मैं राम बना ,ना लखन बन सका

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