गुरुवार, जून 18, 2009

आसूं

जब भी वो मुझसे मिलता ,कुछ इस तरह
उनके बारे में बताता ..........,
उनके गीले आसुओं की ओट में ,मन मेरा पडा था ,
पहली धड़कन में ,नाम मेरा उन्ही के लबों से उडा था ,
दूसरी धड़कन में ,उनका चेहरा बादलों के मानिंद उमडा -घुमडा था ,
छलकते आंसुओं ने ,दर्द के शैलाब की बेडियाँ तोडी थी ,
सूखे ओठों पे ,सर्द हवाओं का फटा ख़त पढ़ा था मैंने ,
दूर से आता देख ,आज मैंने कल की खाली बोतल दिखाई ,
और कहा ,कल तुमने सब पी कर अपनी दो कहानियाँ सुनाई थी ,
उसने मुझे घूर कर देखा ,और गुस्से में बोला ,
मेरे पास दो नही एक कहानी है ,और उल्टे पैर दूसरी तरफ़ चल दिया ..........

3 टिप्‍पणियां:

विवेक ने कहा…

मेरे पास दो नहीं एक ही कहानी है...सच है...और सुंदर भी.

ओम आर्य ने कहा…

इस आंसू मे गहराई बहुत है........

भंगार ने कहा…

aasuno ke bahut rang hote hai,bhai omji aur vivekji aapka bahut shukrya