बहुत करीब से देखा ,बेवकूफों की टोली को ,
कुछ नही मालूम होता उन्हें ,सिर्फ़ कुर्सी बडी मिल जाती है
इसी वजह से अक्लमंद बन गए,
शराब के साथ ,"टैगोर और शरदचंद्र " के विचारों पे अपनी सोंच मढ़ते हैं
फ़िर कल के देवदास को जीने नही देते
आज लिखा ,कुछ जा नही रहा ,
जो सोच पुरानी थी ,उसी को आज के माहोल में ,
गुड से गजक बनने की कोशिश की जा रही है ,
महाभारत और रामायण को ,ऐसा मुखौटा पहना रहें हैं ,
शादियों बाद राम की शक्ल और अर्जुन की शक्ल ,
कंस और रावण से मिलने लगे गी .............
4 टिप्पणियां:
बिलकुल सही कहा आपने।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ek mail send ki thi..kya dekhi
Irshad
IRSAAD SAHAB DEKHA AAP KO JANA AAPKO
bahut badhiya kaha ji..............
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