गुरुवार, जून 04, 2009

आज का मेकर

बहुत करीब से देखा ,बेवकूफों की टोली को ,

कुछ नही मालूम होता उन्हें ,सिर्फ़ कुर्सी बडी मिल जाती है

इसी वजह से अक्लमंद बन गए,

शराब के साथ ,"टैगोर और शरदचंद्र " के विचारों पे अपनी सोंच मढ़ते हैं

फ़िर कल के देवदास को जीने नही देते

आज लिखा ,कुछ जा नही रहा ,

जो सोच पुरानी थी ,उसी को आज के माहोल में ,

गुड से गजक बनने की कोशिश की जा रही है ,

महाभारत और रामायण को ,ऐसा मुखौटा पहना रहें हैं ,

शादियों बाद राम की शक्ल और अर्जुन की शक्ल ,

कंस और रावण से मिलने लगे गी .............

4 टिप्‍पणियां:

Science Bloggers Association ने कहा…

बिलकुल सही कहा आपने।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

इरशाद अली ने कहा…

ek mail send ki thi..kya dekhi
Irshad

भंगार ने कहा…

IRSAAD SAHAB DEKHA AAP KO JANA AAPKO

Unknown ने कहा…

bahut badhiya kaha ji..............