गुरुवार, जुलाई 09, 2009

रंग

मेरे शरीर का रंग ,सफेद पड रहा था ,
धीरे धीरे पूरा शरीर सफेद हो गया था ,
बीबी बच्चे मेरे साथ बाहर नही जाते ,
बंद हो कर रह गया ,अकेले कमरे में जीते ,
मजदूरी कर के जवानी बिताई थी ,
तब सब कुछ बड़ी भली लगती थी ,
जीने का जोश बहुत था ,
आज दिन की कल्पना को नही सोचा था ,
सर्द रात में , ठण्ड से लड़ता था ,
वगैर लिहाफ के ,
मुझे लगता था ,बस यही सर्द रातें आखरी हैं ,
पर ऐसा कुछ नही हुआ ,
अब मैं ठण्ड का आदी हो चुका था ,
शरीर गैंडे की खाल जैसा हो गया था ,
मेरी खाल पे किसी व्यापारी का दिल आया ,
मेरे बच्चों ने मेरी बोली लगाई ,
वो मुझे खरीद के अपने देश ले गया ,
वहाँ के म्युजिंयम् में खडा कर के ,
मुझसे पैसा कमाता ..........,
मेरे बगल कई और हिन्दुस्तान के ,
फेमस लोग खड़े .........,
उनसे भी व्यापारी पैसा कमाता ,
मेरे आने से वो सारे दुखी हो गए ,
अब उनकी टी आर पी जो कम हो गई ......,

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

एक अलग अंदाज!