शुक्रवार, जुलाई 24, 2009

लेखक

हम लिखने वाले ,
बहुत शोर मचाते हैं ,
अपने को बहुत बडा लिखाडी समझते हैं ,
हमेसा अपना ही दर्द बयान करते हैं ,
अपना ही इश्क,लैला मजनूं से ज्यादा वजन दार बताते हैं ,
किसी को बेइज्जत करना ,
हमारे लिए बड़ा आसान होता है ,
सिर्फ़ दो लाइन कंप्युटर पे लिखना होता है ,
इसकी आखें सरहद पार लड़की से मिल गयी ,
खूब हो हल्ला हुआ .......,
उसका तो घर उजड़ गया ,
मुझे समाज का रखवाला बता कर ,
ईनाम में एक बडा तमगा ,
और बहुत सा ईनाम पैसे के रूप में मिला ,
बेटा जो मेरा जापान में पढ़ रहा था ,
डिग्री के साथ एक जापानी लडकी ले आया ,
एक समझदार दोस्त ने मेरा पोल खोल दिया ,
रंगे हाथ मैं पकडा गया ,
मेरा कंप्युटर मुझसे छीन लिया गया ,
अपने ही घर में नजरबंद कर लिया गया ,
अब नही लिखता ,सिर्फ़ पढता हूँ ,
और चोरी पकड़ता हूँ ,
इस दलाली के धंधे में भी ,
अमीर होने लगा मैं ,
पुलिस -कोर्ट सभी हार गए ,
मेरी चलाकी से ,
मैं बहुत नामचीन इंसान हो गया ,
चीन ने मुझे ,मेरी जीत पे ,
डाक्टर की उपाधि से नवाजा .........,

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

सही कटाक्ष!!