सोमवार, जुलाई 27, 2009

ग्रहण

सूर्य ग्रहण लगा ,चला भी गया ,
समुन्द्र में तूफान भी आया ,
वो भी चला गया ,
खूब डराया था ,लोगों को ,
दुसरे दिन पंडित जी ,जब घर आए ,
पापा उन्हें अपने कमरे में ले गए ,
थोडी देर बाद -पंडित जी बाहर आए ,
उनके चेहरे पे चमक थी ,
वो खुश नज़र आ रहे थे,
पापा के चेहरे पे दर्द झलक रहा था ,
नहीं समझ पा रहा ,कोई जवाब हो -तो ,
मुझ तक पहुंचा देना ,,,,,,।

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