वो प्रेमी था ,
प्रेम नही मिला तो ,
मौत को गले लगाया ,
एक दुःख छोड़ गया ,अपनों के दामन में ,
वो माँ जिसने नवमाह का दुःख भोग था ,
एक सुख पाने को उंगली पकड़ के चलना सिखाया था ,
दिया था पहला शब्द माँ का ,
वही माँ बैठी रो रही थी
ख़ुद भी भूत की योनी में जा गिरा था ,
अब भूत बन कर जीता है ,
जिसके लिए मरा था ,
आज उसका ब्याह था ,
प्रेमी दुल्हे के करीब बैठा था ,
एकटक अपनी प्रेमिका को देख रहा था ,
उसको छूना चाहता था ,पर छू नही पाता ,
भूत जिन्दगीse ऊब गया ,
फ़िर से एक इच्छा जागी ,
जन्म लूँ अपनी माँ की कोख से ,
ऐसा हो सकता नही अब ,
ऐसा सुना है मैंने ,
मनुष्य जन्म सिर्फ़ एक बार ही मिलता है ....,
2 टिप्पणियां:
हृदयस्पर्शी कविता !
कमाल की भावाभिव्यक्ति !
फ़िर से एक इच्छा जागी ,
जन्म लूँ अपनी माँ की कोख से ,
ऐसा हो सकता नही अब ,
ऐसा सुना है मैंने ,
मनुष्य जन्म सिर्फ़ एक बार ही मिलता है ....,
--बिल्कुल सही!! बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!
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