मेरी पत्नी छ बहने हैं ,
पुत्र के आस में यह सब हुआ ,
फ़िर लाइन से तीन बेटे हो गये ,
धीरे धीरे बच्चे बडे हो गये ,
समय पे सब की शादी हो गई ,
लडकियाँ अपना -अपना भाग्य ले कर आई थी ,
शादियाँअच्छी जगह हो गई ,
अब मेरी सास के छ -छ पते हैं ,
जहाँ वो दो -दो महीने रहती हैं ,
लडकों के पते इसमें शामिल नहीं हैं ।
उनके पते उनकी सासों के लियें हैं ,
माँ को सिर्फ़ कभी भूले -भटके ,
कुछ पैसे दे जाते हैं ,
जैसे माँ के दूध का कर्ज चुका रहें हैं ,
ससुर यह सब देखने से पहले ,
साधू हो गए ,
सारा सुख -दुःख भोगने के लिए मेरी सास हैं ,
1 टिप्पणी:
जो बुजुर्गों की क़द्र नहीं करते
वक़्त
उनकी क़द्र नहीं करता
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