आंधी फ़िल्म की शूटिंग महबूब स्टूडियो में चल रही था ,सन ७६ का दौर था ।
सेट पे संजीव कुमार जी थे और सुचित्रा सेन जी थी । शूटिंग की सिफ्ट नार्मल
थी , सुचित्रा जी सुबह वक्त पे आ जाती थी ,हरी भाई वो ११ बजे तक आते थे ।
वक्त पे शूटिंग शुरू हो नही हो पाती थी ,हरी भाई ,गुलज़ार साहब के बहुत अच्छे
दोस्त थे । देर से आने का सिलसिला चलता ही रहा ,हम सभी लोग सेट पर बैठे
रहते थे ,आज तो बारह बज गए ,पर हरी भाई का कहीं पता नही । सवा बारह
बजे भागते हुए पहुंचे ,हम सभी लोग सेट पर आए ,गुलज़ार साहब को इन्फार्म कर
दिया गया । सेट पे सब काम शुरू हो गया ,लाईटिंग शुरू हो गई ,थोड़ी देर बाद हरी भाई
सेट पे पहुंचे ,शाट लगा दिया गया । पहला शाट हरी भाई ने दिया ,शाट वो .के .हो गया
इसके बाद गुलज़ार साहब ने एनाउंस किया आज के लिए पैकअप ,हम सभी एक दुसरे
को देखने लगे । हरी भाई ,कुछ नहीं समझ पाए ,वो गुलज़ार साहब के पास आए ,वो कुछ
पूछते इससे पहले ,गुलज़ार साहब ने कहा कल किस वक्त आओगे ? हरी भाई चुप अपनी
गलती को समझ गये ,और बस इतना कहा "सारी " वो बाहर निकल गये ,और हम सभी लोग
अपने -अपने घर ।
दूसरा दिन नार्मल शिफ्ट हरी भाई (संजीव कुमार ) वक्त पर आ पहुंचे ,शूटिंग शुरू हुई
पहली बार मैंने गुलज़ार साहब का गुस्सा देखा ,उसके बाद हरी भाई वक्त पर आते रहे , अगली फ़िल्म
आंगुर भी उन्होंने की और वक्त पर आते रहे ,वक्त से पहले उनका इंतकाल हो गया ,यही सब से
बडी दुखत बात है ।
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