मंगलवार, सितंबर 08, 2009

९१ कोजी होम

आंधी एक ऎसी फ़िल्म है ,जो उस वक्त ,बहुत चर्चित फ़िल्म थी


बैन भी हो गई थी ,लोग कहते थे इन्द्रा जी को सोच के यह


फ़िल्म बनी थी लोगों की कल्पना ,बडी कमाल की होती है


कमलेश्वर जी ने इस फ़िल्म की कहानी लिखी थी वो अब इस दुनिया


में नही हैं,जो कुछ सोच के लिखा ,वो सब उन्ही के साथ चला गया


हाँ जो कुछ मैं कहना चाह रहा हूँ वह इन सब से अलग है


हम लोग महबूब स्टूडियो में शूटिंग कर रहे थे ,सुचित्रा सेन जी के कुछ


सीन थे करीब एक बजे ,सेट पे दलीप साहब आए ,हम सभी लोगो के


चेहरों पे अलग किस्म की चमक गई वो सुचित्रा जी से मिलने आए थे


करीब बीस साल पहले ,बिमल रॉय जी की फ़िल्म "देवदास " में


सुचित्रा जी ने पारो का रोल किया था देवदास पारो से मिलने आया था


करीब दस से पन्द्रह मिनट दलीप साहब सेट पर रहे हम सभी लोग वसीभूत


बन कर सिर्फ़ उन्हें ही देखते रहे ,जाने से पहले, वो गुलज़ार साहब को पूछने लगे


मैं ही गुलज़ार साहब को बुला कर लाया ,जो बगल के कमरे में बैठ


कर इस्क्रिप्ट पढ़ रहे थे दलीप साहब ,गुलज़ार साहब से मिले और अपनी ही अदा में कहा


अरे भाई फ़िल्म फ्लाप हुई ,हम थोड़े फ़्लॉप हुए ,दोनों लोग बडी गर्म जोशी से मिले


बहुत साल पहले एक फ़िल्म संघर्ष बनी थी ,जिसमे दलीप साहब ,बलराज सहानी


संजीव कुमार ,और वैजन्ती माला थे फ़िल्म के सवांद गुलजार साहब के थे


दलीप साहब चले गये ,पर की महीनों तक जेहन पर छाये रहे हमारे




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