आंधी एक ऎसी फ़िल्म है ,जो उस वक्त ,बहुत चर्चित फ़िल्म थी ।
बैन भी हो गई थी ,लोग कहते थे इन्द्रा जी को सोच के यह
फ़िल्म बनी थी । लोगों की कल्पना ,बडी कमाल की होती है
कमलेश्वर जी ने इस फ़िल्म की कहानी लिखी थी । वो अब इस दुनिया
में नही हैं,जो कुछ सोच के लिखा ,वो सब उन्ही के साथ चला गया ।
हाँ जो कुछ मैं कहना चाह रहा हूँ वह इन सब से अलग है ।
हम लोग महबूब स्टूडियो में शूटिंग कर रहे थे ,सुचित्रा सेन जी के कुछ
सीन थे । करीब एक बजे ,सेट पे दलीप साहब आए ,हम सभी लोगो के
चेहरों पे अलग किस्म की चमक आ गई । वो सुचित्रा जी से मिलने आए थे ।
करीब बीस साल पहले ,बिमल रॉय जी की फ़िल्म "देवदास " में
सुचित्रा जी ने पारो का रोल किया था । देवदास पारो से मिलने आया था ।
करीब दस से पन्द्रह मिनट दलीप साहब सेट पर रहे । हम सभी लोग वसीभूत
बन कर सिर्फ़ उन्हें ही देखते रहे ,जाने से पहले, वो गुलज़ार साहब को पूछने लगे ।
मैं ही गुलज़ार साहब को बुला कर लाया ,जो बगल के कमरे में बैठ
कर इस्क्रिप्ट पढ़ रहे थे । दलीप साहब ,गुलज़ार साहब से मिले और अपनी ही अदा में कहा
अरे भाई फ़िल्म फ्लाप हुई ,हम थोड़े फ़्लॉप हुए ,दोनों लोग बडी गर्म जोशी से मिले ।
बहुत साल पहले एक फ़िल्म संघर्ष बनी थी ,जिसमे दलीप साहब ,बलराज सहानी
संजीव कुमार ,और वैजन्ती माला थे । फ़िल्म के सवांद गुलजार साहब के थे ।
दलीप साहब चले गये ,पर की महीनों तक जेहन पर छाये रहे हमारे ।
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