गुलज़ार साहब ने भी "देवदास " फ़िल्म शुरू की थी ,पर बन नही पाई ।
इस फ़िल्म में धर्मेन्द्र ,हेमा मालनी ,शर्मीला और चुन्नीलाल के रोल में
प्रेम चोपडा थे ,फ़िल्म करीब दो रील बनी थी । इस फ़िल्म के निर्माता
कैलास चोपडा थे जो प्रेम चोपडा के छोटे भाई थे ।
इसी फ़िल्म का एक गाना जो गुलज़ार साहब ने लिखा और
पंचम जी ने सुर दिया था ,बोल कुछ इस तरह थे ।
हमें रास्तों की जरूरत नहीं है
हमें तेरे पाँवओं के
निशाँ मिल गये हैं
हमें रास्तों की .......
भटकने का डर है ना
खोने का डर है
जहाँ तेरा साया
वहाँ अपना घर है
ज़मी पे हमें आसमां मिल गये हैं
हमें रास्तों की जरूरत नहीं है ........,
धर्म जी का किरदार ,देवदास का था । हेमा जी पारो का किरदार ,
और शर्मिला जी चंद्र मुखी का किरदार कर रही थी ,यह वह दौर था जब हेमा जी
की शादी धर्म जी से नही हुई थी । अगर यह फ़िल्म पूरी हो जाती तो
यह फ़िल्म अपने आप में एक इतिहास होती ।
इसी फ़िल्म का दूसरा गीत था ,जिसको फिल्माया भी गया था ।
कुछ इस तरहं था ................,
मेरे आंगन आए रे ॥
घनश्याम आए रे ॥
मैंने सारे होश गवाए ॥
मेरे आंगन आए रे ...........
लाज के मारे सिमटी जाऊँ
मेरा आँचल उड़ -उड़ जाए
मेरे आँगन आए रे ..........
यह गाना शर्मीला जी पर था ............कोठे का गीत ॥
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