आज मै फ़िर से भूषण जी के बारे में कुछ बात करूँगा ,
जैसा वो बताते थे ,उनकी पहली मुलाकात गुलज़ार साहब
से दिल्ली में ,एक पब्लिकेशन के आफिस में हुई थी ,दोनों
लोग एक दुसरे से इतने प्रभावित हुए की गुलज़ार साहब ने यहाँ
तक कह दिया ,बम्बई आना हो तो " मुझसे जरुर मिलना " ।
महीनों बीत गये इस मुलाकात को ,बस एक दिन
भूषण जी बम्बई आ पहुचे ,सीधा गुलज़ार साहब के घर ९१ कोजी होम
आ गये ,अकबर नौकर था घर में ,गुलज़ार साहब कहीं गये थे ।
उसी ने उनकी आव भगत की ,भूषण जी बताया था "बैठे -बैठे बोर हो
गये तो उन्होंने अकबर से दो बियर मंगवाया और आराम से बैठ कर पीने
लगे । शाम को जब गुलज़ार साहब आए तो भूषण जी वहीं तिपाई पे सो रहे
थे । अकबर ने उन्हें जगाया और बताया साहब आ गये हैं । गुलज़ार साहब
मिले बात चीत हुई ,भूषण जी बताया ,दिल्ली की नौकरी छोड़ कर आ गये हैं
और अब यहीं रहें गें । गुलज़ार साहब ने पूछा समान के बारे में ,"तो कहने लगे
जो पहने हुए हूँ यही सब समान है , गुलज़ार साहब इनकों ले कर बाज़ार गये ,
इनके लिए कपड़े ख़रीदे ,और तब से वो गुलज़ार साहब के साथ रहने लगे ,जब
गुलज़ार साहब ने शादी की तब जाकर भूषण जी ने अपना अलग ठिकाना बनाया
बस शिर्फ़ सोने ही जाते थे बाक़ी समय गुलज़ार साहब के साथ ।
आदतें गालिब की थी ...............,
पीने का शौक अच्छी शराब ,सिगरेट फाइब फाइब फाइब इससे नीचे की बात नही
बहुत कड़की हुई तो बीडी प्रकाश छाप ........ ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें