गुरुवार, अक्तूबर 15, 2009

धन तेरस

क्यों खफा हो ...मुझसे .....,
पिछले धन तेरस में .....,
सोने की करधनी तो ली थी ....,
इस बार वो कह रही ......,
हीरों का नेक्लेश लूँगी ॥
...जुगाड़ के जुए में .....,
धन तेरस को जेब कट गई ।
सब कुछ हारा ....पर एक रात के लिए ॥
उसकी पत्नी जीत गया ....
देर रात ..घर पहुँचा ...जुए में जीती ,
उसकी इज्जत मेरे साथ थी ....
पहली बार लगा ...बाजार से गाय खरीद लाया ,
वो रात ,
वो मेरे साथ रही ....,
सुबह पत्नी के जागने से पहले ..एक सच खुला ,
हर साल धन तेरस को ...वो दावं पे लगती ...,
रात भर की कमाई से ..........,
वो साल भर ........गुज़ारा करने की राह निकाल लेते .....?

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