शुक्रवार, अक्तूबर 16, 2009

९१ कोजी होम

किताब फ़िल्म में एक सीन मिठाई की दूकान का था ,
जहाँ मास्टर राजू आता है और हलवाई जो जलेबी बना
रहा था ........मास्टर राजू जलेबी बनते हुए देखता है ,
और हलवाई से कहता है ,क्या वो उसे जलेबी बनाना सिखा
सकता है ........हलवाई सवांद बोलता है ....तो जलेबी बनाना
भूल जाता है ........गुलज़ार साहब चाहते थे ....हलवाई दोनों
काम साथ -साथ करे ....पर इस तरह हो नही रहा था ...सवांद
बोलता तो जलेबी बनाना रुक जाता ...जलेबी बनाता तो सवांद
भूल जाता ......तीन -चार टेक के बाद ....वो कलाकार गलती
करता ही रहा ......यह देख कर उन्होंने मुझ से पूछा ....यह हलवाई
है या कलाकार ......मैंने कहा भाई यह हलवाई भी है और कलाकार
भी ....मैं ही लेकर आया हूँ .........और आप से पहले मिलाया भी था
हम सभी लोग खामोश हो गए .......पहले एक ही शाट में
पूरा सीन हो रहा था ......गुलज़ार साहब ने फ़िर शाट डिविजन कर दिया
और पूरा सीन शूट किया ..........वो ऐक्टर अलबेला था ......शाम को मैंने
उससे कहा ........यार तुम ने मेरी नाक कटवा दी ........तू ने इतनी फिल्में
की थी आज क्या हो गया ............? वो कहने लगा ....गुलज़ार साहब को
देख कर डर गया .......जब वो एक्सन बोलते ......उसके बाद मुझे क्या हो जाता
मुझे नही मालूम ........जलेबी न दिख कर गुलज़ार साहब का चेहरा नज़र आता
..........उस दिन के बाद से ..... मैं बडी सोच -समझ कर किसी एक्टर को रोल देता
.....

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