फ़िल्म किनारा का एक गीत ,जो मुझे बहुत पसंद है ,
नाम गुम जाएगा
चेहरा ये बदल जाएगा
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
वकत के सितम कम हसीं नहीं
आज है यहाँ कल कहीं नहीं
वक्त से परे अगर मिल गए कहीं
मेरी आवाज ही पहचान है
गर याद रहे ........,
इस फ़िल्म में धर्मेन्द्र जी भी एक किरदार कर रहे थे
हेमा जी के पहले प्रेमी के बतौर .....और एक दुर्घटना
में मौत हो जाती है
हम सभी लोग मांडू में शूटिंग कर रहे थे ,मांडू मध्य प्रदेश
में है । बाजबहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी के निशान
यहाँ के खंडरों में मिलते हैं । धरम जी और हेमा जी के सीन
यहाँ फिल्माएं गए थे ,धरम जी के साथ उनका बॉय भवंर लाल
था, जो धर्म जी का ख्याल रखता था ,उनके खाने -पीने से लेकर
सभी चीजों को लेकर । यह वह दौर था ,जब धर्म जी खूब पीते थे
उनको रोकने के लिए ,यूँ कहिये कम पीने के लिए । भवंर ही उनके
लिए पैग बनाता था ,दो तीन पैग के बाद वो बोतल छिपा देता था ।
फ़िर धर्म जी को और चाहिये तो भंवर उनको शराब नही देता था ,
भवंर को घर से हिदायत मिली थी जादा पीने मत देना ।
धर्म जी पहले प्यार से मांगते फ़िर पंजाबी लहजे में जो मांगते ,वह
हम सभी लोग सुनते ........लात घूंसा चलता ,भवंर शराब की बोतल
ले कर भाग जाता ....यह सब भी हम लोग देखते ...पर डर के मारे
किसी की हिम्मत नही होती ....इस सीन में पड़ने की ...भवंर पास
में ही कहीं छिपा होता ......फ़िर धर्म जी कमरे में चले जाते ........
भवंर आता दरवाजे के पास आ के बैठ जाता ...पर बोतल कहीं
छिपा के आया होता ...........हम .सभी सो जाते , रात में धर्म जी को खाना
खिलाता और उनको सुला कर अपने कमरे में जाता ,
धर्म जी का मन बिल्कुल बच्चो जैसा है ....मुझे वो देवदास कह के
बुलाते थे ...उस समय मैं दाढी रखता था ....रात की घटना एक दिन
की नहीं थी .........भवंर से मैंने पूछा तो उसने बताया ,साहब उस से
बहुत प्यार करते हैं ......मेमसाहब की बात मैं कैसे टाल सकता हूँ ,
वो कहती थी साहब को ज्यादा मत पीने देना ..........यह यादे कही
छपी नही है .........मुझ तक थी ...एक चीज मैंने महसूस की इंसान
को दिल का साफ़ होना चाहिए .............
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