मंगलवार, नवंबर 24, 2009

९१ कोजी होम

फ़िल्म वालों को महीने की तनखाह तो मिलती नहीं ,जब कभी हम लोग कोई फ़िल्म साईन करते हैं । और फ़िर
एक साथ ढेर सारे पैसे घर में आते ही ,खुशिओं की लहर फ़ैल जाती है । यही मेरे घर का हाल था ...पत्नी जेवर खरीदने की जिद्द करने लगी .....हम कल की तब नहीं सोचते थे ...लोगों के उधारचुकता किया ...बाकी बचे पैसे भी कम नही होते थे .....इतने पैसे एक साल तक घर आसानी से चलाने के लिए काफ़ी होते थे ....... ।
मैंने उस फ़िल्म की स्क्रिप्ट लिखना शुरू किया .....फ़िल्म का नाम रखा "ऐ मेरी बेखुदी "मुझे महीने भर में पूरी स्क्रिप्ट लिखनी थी ....जुलाई के आखिर में शूटिंग में जापान जाना था .....मेरे पास पासपोर्ट भी नही था ....मैंने निर्माता को बतला दिया ...मेरे पास पासपोर्ट नहीं है .....उन्होंने अपनी पहुँच से मेरा पासपोर्ट बनवा दिया ......मैंने एक गलती की जो मुझे बाद में पता लगी .......वह थी मैंने उन लोगों के साथ कोई ऐग्रीमेँट नहीं किया
सिर्फ़ एक विस्वाश था उनके साथ ....सब कुछ मेरे पे छोड़ दिया था ......
कैमरा मेन से मेरी पट नहीं रही थी .......पर एक मुश्किल थी .....अशफाक उसका सहायक था
और अशफाक ही ने मुझे निर्माता से मिलवाया था ......अगर कैमरा मैन हटता है तो अशफाक को भी जाना पडेगा
बड़ी मुश्किल में आ गया ......फ़िर भी , उस कैमरा मैन को मैं अपने साथ ले कर गया ... ।
मेरे घर वाले बहुत खुश थे की मैं जापान जा रहा हूँ .......३० जुलाईसन ९० को हम लोग ,जापान जाने के लिए ......मुंबई से दिल्ली गए .....और फ़िर वहाँ से ...सीधे टोकियो के लिए रवाना हुए .......पुरी रात का सफर
था ......प्लेन में थोड़ा बहुत सोने की कोशिश की ......थोड़ी सी आँख लगी ...प्लेन की खिड़की बंद थी .....उससे सर टिका कर सोने कोशिश की ......मन में एक खुशी थी ...किसी नये देश को देखने की और भी जापान को ........
थोड़ी देर बाद आँख खोली .....खिड़की को ऊपर उठाया ......बाहर काफी उजाला था ...घड़ी देखी तो रात का तीन बज रहा था ........मैं समझ गया हम तो पूर्व की तरफ़ जा रहे हैं .......वहाँ तो सुबह जल्दी हो जाता है ....हमारा हवाई
जहाज काफी ऊँचे उड़ रहा था ......नीचे से कई और जहाज उड़ते हुए देखे ......नीचे देखने में बहुत अच्छा लग रहा था
करीब आठ बजे हमारे हवाई जहाज ने टोकियो में लैंड किया .....हमें वहाँ से ..दुसरी फ्लाईट पकडनी थी ....नागोया
शहर के लिए .....और हमारी फलाईट लेट थी .....नागोया की फ्लाईट छूट गई थी .......अब हमें यहीं टोकियो के
एअरपोर्ट पर ही ..शाम तक इन्तजार करना था ...हम लोगों को एयर इंडिया ने पन्द्रह सौ यान दिया गया .....खाने के लिए .......हम सभी लोगों ने नुडल्स खाए ....और शाम होने का इन्तजार करने लगे .......दिन भर हवाई जहाज का उड़ना .......शाम हुई हम लोग ...नागोया के लिए चल दिए .......एक घंटे में हम लोग नागोया पहुँच गए ...हम सभी लोगो को कस्टम अधिकारी ने रोक लिया ......हम लोगों से पूछा गया ....आप लोगो का वीजा तीन महीने का है
इतने दिन आप लोग कैसे रहें गें ? निर्माता हमारे कहीं छिप गए ...और एक जापानी आदमी आया और उसने मुझसे बात की .......और मुझे समझाया की आप यह बताएं की आप लोग फ़िल्म की शूटिंग करने आए हैं और
नागोया में एक होटल का नाम बताया और कहा ,की आप उनसे यह कहें आप सभी लोग इसी होटल में ठहरे गें
...........और हम लोग बाहर आ गए .......एक वैन में बैठे ......और चल दिए रात हो चुकी थी ....शहर इतना खुबसूरत
था ...मेरी आखें हट ही नहीं रहीं थी .......एक घटे के सफर के बाद ......एक छोटे शहर उनिअमा नाम के शहर में पहुंचे
सडक पे एक छोटा सा होटल नाम था इंडो रेस्टोरेंट .....होटल के ऊपर रहने का इंतजाम था ....और नीचे होटल में खाने का इंतजाम ......एक कमरे में दो -दो लोग ठहरे थे .....नहाया कपड़े बदले .....फ़िर वहीं नीचे खाना खाने आया
कुल दस लोगों के बैठने की जगह थी ......एक नेपाली जो खाना भी सर्व करता था और तैयार भी .......सभी ने तंदूरी
चिकेन मगाया और रोटी ........हमें लगा ही नहीं हम सभी लोग जापान में है .......होटल से बाहर आया खुबसूरत सडक कुल आठ -दस् दुकाने ....शराब की दूकान ,यहीं पास में ही एक बाक्स जिसमें सिगरेट वियर थे सौ यान का
सिक्का डालो और जो चाहो उसका बटन दबा दो बस और वह समान बाहर निकल आयेगा .....और बाकी पैसे भी
बाहर आ जाता है ....कल सुबह बुलेट ट्रेन की शूटिंग थी प्रेम चोपड़ा के साथ और साथ में नया हीरो के साथ सीन था
कमरे में सोया ...इतनी गरमी थी ......जैसे मुम्बई में गरमी पड़ती है .......

2 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

लाजवाब संस्मरण...आज आपने कुछ दिल खोल के लिखा है...मेरी बात लगता है आप मान रहे हैं लेकिन रफ्ता रफ्ता...
आपने अपना असली नाम क्यूँ छुपा रखा है...कोई समस्या है?

नीरज

बेनामी ने कहा…

नीरज भाई, मिश्राजी ने अपनी पुरानी पोस्टों में अपना नाम बताया था, शायद आपने उन पोस्टों को नहीं पढ़ा होगा. रामलखन मिश्र जी फिल्मी दुनियां में R L Mishra के नाम से जाने पहचाने जाते हैं.