सोमवार, नवंबर 23, 2009

९१ कोजी होम

प्रिय ,नीरज साहब ...माफ़ी चाहूंगा ..कभी -कभी यह
कंप्यूटर धोखा दे देता है .....लिखना भूल जाता है .नौकरी करता हूँ
आफिस का भी काम करना पड़ता है ......फ़िर जब यादों को लिखना शुरू
करता हूँ ....सब कुछ याद रहता है कुछ नहीं .....,फ़िर दुसरे दिन जब लिखना शुरू
करता हूँ ....फ़िर खुछ नई यादें जुड़ने लगती हैं .....एक बार फ़िर नीरज जी से माफ़ी चाह्ताहूँ
आप की मांगों को पूरा करने की कोशिश करूंगा ......

1 टिप्पणी:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

कोशिश करते रहिये...हम इंतज़ार करेंगे...लेकिन क़यामत तक नहीं...हा हा हा ...आप मुंबई में रहते हैं शायद और मैं यहाँ खोपोली में जो खंडाला के पास है ...कभी मुलाकात होगी तो रूबरू बैठ कर सुनेंगे आपसे किस्से...तब आपको यूँ बीच में रुकने नहीं दूंगा...
नीरज