बुधवार, नवंबर 25, 2009

९१ कोजी होम

सुबह जल्दी उठ गया ,नेपाली जो होटल का वेटर था , सब को चाय पिलाया । मुझे एक जापानी सहायक दिया गया ,जो अंग्रेजी समझता था और बोल लेता था । वैसे जापान में ,जापानी अपनी भाषा बोलना ज्यादा पसंद करते
हैं । एक बात और महसूस की ,उनके दिलों में हिन्दुस्तानी लोगों की ,एक खास जगह है -और हिदुस्तानी से बहुत प्यार करते हैं ।
हम सब लोग ,नागोया रेलवे स्टेशन आठ बजे पहुँच गए .....निर्माता ने स्टेशन पे शूटिंग करने की परमिशन ले रखी थी ..........सीन कुछ इस तरह था ......हीरो बुलेट ट्रेन से किसी गंतव्य को जा रहा है .....और ट्रेन के अन्दर फ़िल्म के विलेन प्रेम चोपड़ा से मुलाकात होती है ......हमने कैमरा स्टेशन के प्लेटफार्म पे लगा दिया
और हीरो को बता दिया ...ट्रेन आएगी तुम पुल से उतरते हुए नीचे आओ और ट्रेन के अंदर जाना होगा .....ट्रेन आने
से पहले दो रिहर्सल भी कर लिया गया ........एक चीज और खास देखी ....प्लेटफार्म पे एक मार्क बना हुआ है ....ट्रेन का दरवाजा वहीं खुले गा ....और लोग लाइन लगा कर के खड़े हो जाते हैं उसी मार्क पे ....उसी मार्क पे रेलवे कर्मचारी
भी खड़ा होता है ......पहले अन्दर से निकलने वाले को झुक के अभिवादन करता है ....फ़िर बाहर वालों को अन्दर जाने के लिए कहता है ......जब सब लोग अन्दर चले जाते हैं तब वह ...सीधे तन कर खड़ा हो जाता और इंजन के चालक के सिंगल का वेट करता है ,स्लाइडिंग डोर अपने आप बंद हो जाता है ॥
बुलेट ट्रेन आती हुई नजर आयी ......कैमरा आन हुआ ....हीरो चल के ट्रेन के पास आया .....
मैंने देखा ट्रेन की खिडकी में कैमरा और हम सब लोग नजर आ रहें है .......यह शाट ख़राब हो गया .....अब दूसरी
ट्रेन का इन्तजार करने लगे .......कैमरा मैन से बात की ...इस रिफ्लेक्शन से कैसे निजात पायें ......कैमरा का आय्न्गेल बदला गया ......कैमरा दुसरी जगह रखा गया .......निर्माता ने नाश्ता मंगवा दिया था .......हम प्लेटफार्म
पे ........नहीं खा सकते थे .....हमें पार्किंग प्लेस पे गए और नाश्ता किया ......हम सभी लोग इंडिया से अपने -अपने
ब्रैंड की सिगरेट ले आए थे ......निर्माता ने सभी लोगों को एक छोटा -छोटा लिफाफा दे दिया ....और कहा अपनी -अपनी सिगरेट की राख और बट इस लिफाफे में डालना ......स्टेशन के प्लेटफार्म पे सिगरेट पीना मना था ....हाँ
एक जगह बनी थी जहाँ जाकर आप सिगरेट पी सकते हैं .......इतनी बंदिश ......
कैमरा लगा कर हम ट्रेन का इन्तजार करने लगे .........ट्रेन आई शाट ओ के हुआ ...अब हमें
ट्रेन के अन्दर शूटिंग करनी थी ........दुसरी ट्रेन आयी हम सभी लोग अन्दर गए .......और फ़िर अन्दर की शूटिंग करने लगे .......निर्माता ने मुझसे कहा तीन घंटे में पूरा सीन करना होगा .......ओसाका तक हमारा टिकेट है .....
यह बड़ा मुश्किल था .मैंने प्रेम चोपड़ा जी को समझा दिया .....पूरा सीन एक शाट ............
यह सुन कर प्रेमजी कहने लगे और क्लोज .....मैंने कहा बाद में ...ट्रेन का एक डिब्बा ले कर ........वो मान गये
शूटिंग शुरू की ......पहले शाट में हीरो ने गड़बड़ कर दिया ....जो मार्क दिया गया था वहां जा कर खडा ही नही हुआ
......हर डिब्बे पे लिखा हुआ आ रहा था ट्रेन कितनी इस्पीड से चल रही ......पहली बार देखा २१० की स्पीड से ट्रेन
भाग रही है ......यह सन ९० की बात कर रहा हूँ ......पूरा सीन होगया ....ओसाका हम लोग पहुँच गए सभी लोग नीचे उतरे ....करीब तीन बज रहा था .......हम सभी लोग एक रेस्टोरेंट में पहुंचे .......यह भी इंडो रेस्टोरेंट था और हमारे निर्माता का था ......हम सभी ने माँ की दाल और चावल खाया ......इस ओसाका स्टेशन पे प्रेम चोपड़ा के शाट्स लिया ......ट्रेन से उतरने का ....और हीरो का उसे फालो करने का .....शूटिंग करते शाम हो गई ......मैं और जापानी सहायक कल की शूटिंग करने के लिए दूसरी लोकेशन देखने चल दिए ...... एक बंगले का था .....लोकेशन .....देखा
बहुत अच्छा लगा .....रात काफी हो चुकी थी .....मेरे सभी साथी बुलेट ट्रेन से चले गए ....रात काफ़ी हो चुकी थी ....
मुझे कहा ..आप यहाँ होटल में ठहर जायं ......मैं उसके साथ एक होटल में पहुंचा ......उसने जापानी में कुछ बात की
मैनेजर से ......उसने मुझे अंग्रेजी में कहा ........यह चाभी लीजिये ....सामने एक आलमारी है ...उसको खोल कर
उस में रखे कपड़े पहन लीजिये ....और अपने उतार कर उस में रख दीजिये .......वह जापानी सहायक चला गया
मैं उस आलमारी के पास गया ......उसमें रखे कपड़े पहने और अपने निकाल कर उस में रखदिया ......ड्रेस कुछ इस तरह का था ,जैसे कैदी पहनते हैं ......और वहाँ पे हर रहने वाली की यही ड्रेस थी ......नहाने का मन हुआ .....एक कमरे के बाहर लिखा हुआ था ...बात टब यह सब दो जबानों में लिखा था .....अंग्रेजी और जापानी में ..........
मैं अन्दर गया .......एक टब और सभी लोग नंगे बैठे हैं .........मैं धीरे से बाहर आ गया ......नहाने की बात भूल
गया ......एक तरफ़ लाईन से वाश वेशिन लगे थे ......मुहं धोया .....और अपना कमरा खोजने लगा .....पास एक आदमी से पूछा अपने रूम नम्बर को .........उसने हाथ के ईशारे से बताया ......वो जापानी था ......मैं उस तरफ़ चल
दिया .....एक बड़ा सा हाल .....जिसमे लाइन से बड़े -बड़े बाक्स रखे हैं ......एक के ऊपर एक और उन पर नंबर लिखा
मैंने अपने नंबर का बाक्स खोजा ........इस बाक्स के आगे एक चिक लगी थी ......इस बाक्स की ऊँचाई करीब तीन फीट उंचा और दो फीट या इससे कुछ ज्यादा ...लम्बा छे फीट .......मैं अन्दर गया ......एक छोटा सा टी .वी .एक हेड फोन ठंडी हवा आने की एक खिडकी .....मैं अन्दर लेट गया ......टी.वी आन किया .....बहुत सारे चैनेल और चैनेल
पे फिल्मे .....न्यूज ,इस्पोर्ट्स ,सेक्स ,इतना खुछ देखते देखते सुबह के चार बज गये .......कब आँख लग गई
पता नहीं चला .......सुबह घंटी की आवाज से उठा ......बाद में पता चला ...यह जगह सिर्फ़ रात के सोने के लिए है
सुबह नौ बजे छोड़ देना होता है ........

2 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

जापान की सभ्यता ,रहन सहन और आपने क्या क्या मजा किया ,सब विस्तार से बताइयेगा

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बहुत रोचक वृतांत...जापान में की गयी बुलेट ट्रेन की यात्रा याद आ गयी...अब की बुलेट ट्रेन पहले वाली से बहुत अधिक सुधर गयी है लेकिन जापानियों की तहजीब अभी भी वैसी ही है...आगे क्या हुआ जान ने की चाह है...
नीरज