गुरुवार, नवंबर 26, 2009

९१ कोजी होम

होटल के बाहर आया ,जापानी सहायक मिला उसके साथ बंगले वाले लोकेशन पे पहुंचा । यूनिट अभी तक नहीं पहुंचा था ...मैं बंगले के अन्दर जा कर बैठ गया .....जापानी परिवार मिला .......इंग्लिस बहुत कम आती थी .\,मेरा सहायक इस समय काम आया .....उसने मेरी बात चीत कराई ......वह बुद्ध का उपासक था ....गया के बारे में पूछा सारनाथ के बारे में जाना ......हिदुस्तानी को यह लोग बुद्ध का अंश समझते हैं ......हर जापानी एक बार हिदुस्तान जरुर घूमना चाहता है .......हम लोगों की एक आदत उन्हें पसंद नही आती ......पान खा कर थूकने की आदत ....वैसे भी जहाँ जी आता है ,थूक देते हैं ...यह सुन कर मैं बहुत शर्मिन्दा हुआ .......हम कुछ और बात चीत .....यूनिट आ गया था ।
मैंने कैमरा मैन से बात की और सीन बताया ......और पहला शाट बताया .....अनिल बक्षी का पहला शाट था .....मैंने नाश्ता किया आलू के पराठे का ..........निर्माता के होटल से आया था ....शाम तक इसी घर में
काम चलता रहा .......मैंने यूनिट के हर आदमी से कह दिया ......कोई यहाँ सिगरेट नहीं पिएगा ....घर को गंदा नहीं करेगा .....हम तो हम ही हैं ...गंदा करना हमारा जनम शिद्ध अधिकार है .........
इस घर में कुल चार दिन शूटिंग करना था .......शाम हुई ...शूटिंग पैकअप हो गयी .....हम सभी लोग अपने होटल की वोर चल दिए ......कमरे में पहुंचा पहले नहाया ...कपड़े बदले ...नीचे होटल में आ कर चाय पी
..........बाहर आ कर ......पास रखे बाक्स में १००० यनडाला .......एक टिन बिअर ली .....माइल्ड सेवेन का सिगरेट
पैकेट लिया .........सडक पे चलता हुआ ........थोड़ा आगे आया ,जहाँ धान के खेत थे .........वहीं पास पड़ी बेंच पे बैठ
गया .....वहीं बिअर पीता रहा ........और अपने आप से कहता रहा ......दोस्त अच्छी तरहं से इस देख लो ....दुबारा आना ......नामुमकिन है .......रात का नौ बज रहा था .....दो लडकियाँ टहलते हुए ...मेरे पास आयी ......और मुझ से
पूछा .......आर यु इन्डियन .....पहली बार किसी जापानी से इंग्लिस सुनी ......मैंने उन्हें बैठने को कहा .....इसके बाद उन्होंने कहा .....नो इंग्लिस ....फ़िर वो सब कुछ जापानी में बोलती रहीं .....मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था
मैं .......इंग्लिस में बोलता रहा .....वह भी समझ नहीं रही थी .....पाँच -दस् मिनट हम इसी तरह बात -चीत
करते रहे ......फ़िर वो दोनों लडकियाँ वहां से उठ कर चली गयी ............मैं सोचता रहा .....मुझे थोड़ी बहुत जापानी सीखनी पड़ेगी .....बेंच से उठा ....और होटल की तरफ़ चल दिया ......जापानी सहायक से कहा मुझे जापानी सिखाओ
उसने इंग्लिस में दस जापानी बोल-चल वाली लाइने लिख कर दी .......और मैं उन्हें रटने लगा ........अब तो मुझे याद नहीं है .....आप अपने मन में सोच सकते .....मैंने क्या -क्या किसी से बात -चीत के लिए रटा होगा .......
यह मुलाक़ात मेरे दिलों -दिमाग पर छाई रही ........सुबह शूटिंग पर गया ......आज मैंने उस फैमिली
से ,जिनके यहाँ हम शूटिंग कर रहे थे ......उन से जापानी भाषा की रटी हुई जबान बोली ......वह लोग हसे ....जो
जवाब दिया मेरी समझ में नही आया ........मैं शूटिंग में लग गया .....शाम को पैकअप हुआ .......हम सभी लोग होटल आए .......मैं उसी बेंच पे जा कर बैठ गया ......वह कापी मेरे पास थी ,जिसमे मैंने बात -चीत करने का रास्ता लिखा था ......यह मुलाक़ात मैंने किसी को नही बताया था ......मुझे खोजता हुआ मेरे निर्माता आ गये ......उन्होंने
कहा .....हिरोइन का डुप्लीकेट ले कर आए हैं ....एक जापानी लडकी ....जो एक्शन सीन के लिए काम आयेगी .....
प्रेम चोपड़ा जी सिर्फ़ एक वीक के लिए आए थे ......और उनका एक्शन पोर्शन ख़तम करना था .....कल से डे नाईट
शूटिंग करनी थी ........... । मैं होटल आया और उस जापानी लडकी से बात चीत की और रटे हुए शब्दों को बोला
वह लडकी ...मेरे बोलने पे हँसी .....मेरा सहायक मेरे पास आ गया ....और ट्रांसलेटर बन गया ......मुझे लगा कहीं मैंने कुछ गलत तो नही बोल दिया ......रात खाने में हम सभी लोग साथ बैठे .....वह जापानी लडकी भी बैठी ..उसको
हिदुस्तानी खाना बहुत अच्छा लग रहा था ,और वह भी इस तरह खा रही थी .....जैसे हम लोग हाथों से खाते हैं ..........कांटे -चमच का इस्तेमाल नही कर रही थी ....रात का एक बज रहा था मेरी आँखों में नींद नहीं थी ...मैं उठा
और सडक पे आ गया और टहलता हुआ दूर तक निकल आया ....और उस देश को देखता था .......जो दूसरे महायुद्ध कितना
बरबाद हो गया था ......और आज ........कहाँ पहुँच गया है .......जब मैं वापस लौट रहा था ....मेरा जापानी सहायक मिल गया ....और बताया आप को बिस्तर पे ना देख कर ......आप को खोजने निकल आया .......... ।

1 टिप्पणी:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

रोचक पोस्ट...सुबह से इंतज़ार कर रहा था...आप अब आयें हैं...आप लेखक हैं तो बातों को तोड़ कर क्यूँ लिखते हैं..धरा प्रवाह क्यूँ नहीं लिखते...एक वाक्य अधूरा छोड़ कर दूसरा शुरू कर देते हैं, इस से पढने में बाधा आती है...अभी तक आपने अपना नाम ज़ाहिर नहीं किया...क्यूँ छुपाये रखना चाहते हैं समझ नहीं आया...आप लिखते रहें , हम पढ़ते रहेंगे...
नीरज