मंगलवार, जनवरी 05, 2010

९१ कोजी होम

गुलज़ार साहब , जो लोग खाने की थाली में अन्न छोड़ते हैं उन लोगों से बहुत खफा होते हैं ।

बहुत साल पहले की बात है ...कभी -कधार हम सभी सहायक एक साथ गुलज़ार साहब के

साथ बैठ कर खाना खाते थे ....मेराज साहब की एक आदत थी, जल्दी -जल्दी खाना खा कर उठ जाते थे

और प्लेट में आधे से ज्यादा खाना छोड़ कर जाते थे ....गुलज़ार साहब उनकी प्लेट इस तरह देख कर ,कुछ

खाना ले लेते थे ...हम सभी लोगों को आश्चर्य होता था ....वो इस तरह क्यों करते हैं

आज उन्होंने मेराज साहब को बुलाया ....और कहने लगे उनसे ...."कब तक मैं तुम्हारा जूठा

खाऊँगा ...ओ चुप --ख़ामोशी से गुलज़ार साहब को देखने लगे .....फिर गुलज़ार साहब ने कहा ...यह कौन खायेगा

मेराज साहब चुप -चाप फिर से डाय्निग टेबल पे बैठे और प्लेट में बचा खाने लगे ....गुलज़ार साहब ने मना किया

आज रहने दो ...आगे से ख्याल रखना .....

यह बात हम सभी को आज तक याद है ,,,आज भी मैं अपने घर इसी तरह खाता हूँ जैसे प्लेट जूठी नहीं साफ़ ही है .......

मेरे बच्चे भी इसी तरह खाते हैं ....हमारे घर में कोई मेहमान भी आता है हम सभी लोग पहले से समझा देते हैं

भई प्लेट में कुछ छोड़ना नहीं ,जितना खाना हो उतना ही लेना ...कभी - कभी लोग मेरे इस हरकत से खफा भी

होते हैं ....... ।

3 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

अन्न का अनादर नही करना चाहिये , ये बात सौ फ़ीसदी सच है

नीरज गोस्वामी ने कहा…

ये बहुत अच्छी आदत है...थाली में खाना छोड़ने से बड़ा अपराध क्या होगा? जहाँ कितने ही लोग भूखे पेट सोते हैं उस देश में थाली में खाना छोड़ देना गुनाह है...गुलज़ार साहब की इस आदत से हम सब को सबक लेना चाहिए...
नीरज

डॉ .अनुराग ने कहा…

dilchasp laga..