सन ८० का दौर था । गुलज़ार साहब , के साथ जब भी बाहर जाता ....लोग उन्हें इस तरह देखते
जैसे कोई हीरो हो .....मुझे समझ नहीं आता ....इतने नामचीन कैसे हैं ? एक तो उनके सफेद कपड़ों
से पहचान थी ...हमेशा सफेद कुर्ता और सफेद पैंट और उस पर सुनहले रंग की मोजडी । सच पूछिये
तो मैंने खुद भी इस लिबास के अलावा कुछ और पहनते नहीं देखा ।
एक फिल्म थी" जलियाँ वाला बाग़ ", उस फिल्म में गुलज़ार साहब ने एक किरदार भी निभाया था ....जिसमें उन्होंने पैंट कोटपहना और टाई लगाई थी ...इस फिल्म के गाने और स्क्रिप्ट भी
लिखी थी उन्होंने ......मैंने ,बस वही उनको पैंट और शर्ट में देखा .....एक दिन मैं उनके साथ उनकी ही
कार से जा रहा था ......एक जगह उनकी कार रुकी ,कुछ लडके -लडकियाँ आटोग्राफ लेने आ गये .....
कार आगे बढ़ी .....गुलज़ार साहब खुद ही कहने लगे ....यह सब मेरी बदमाशियो की वजह से है
मेरी पहचान मेरे गीतों से नहीं है ......यह सब राखी जी से शादी की वजह से है ...मैं कुछ
बोलूं ...खुद ही कहने लगे ....पहले लोग मुझे नहीं जानते थे ..नहीं पहचानते थे ....मैं चुप ही रहा ...और
बोलता भी क्या ....आज भी कहते हैं गुलज़ार बनने में एक वक्त लग गया ....हाँ आज मुझे ...मेरे गीतों
से लोग पहचानने लगे हैं ......
करीब तीन कम चालीस साल से जानता हूँ .....सन ७२ में मेरी पहली मुलाक़ात
थी और आज सन २०१० चल रहा है ......वो एक राह पे चल रहे हैं, लोग आते हैं, उनसे काम सीखते हैं और
अपनी अलग पहचान का नाम देते है ......इस फिल्मी बाजार में .....
गुलज़ार साहब ने हर किसी को कुछ न कुछ दिया है , कोई यह नहीं कह सकता
मैंने उनकों कुछ दिया है .....वो एक पारस पत्थर की तरह हैं ...जो भी करीब गया ..सोना जरुर बना है
बहुत से नाम हैं ....मैं उनके नाम यहाँ नहीं लूंगा ....आप फिल्म लाईन के बारे
में जानते है? तो आप खुद ही जान जायेगें .....
गुलज़ार साहब सोते ही नहीं है ..........यह शायद आप ने नहीं सुना होगा .....
इसकी चर्चा सोमवार को ........
जारी ..........
2 टिप्पणियां:
अच्छे संस्मरण हैं , राखी जी से उनकी शादी अचानक हुई या कुछ रोमांस वगैरा भी था ?
गुलज़ार साहब की खूबियों से वाकिफ करवाने का शुक्रिया...
नीरज
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