सोमवार, जनवरी 18, 2010

९१ कोजी होम

गुलज़ार साहब , जिद्द भी कमाल की करते हैं

जैसा वह सोचते हैं वैसा ही होना चहिये ,गाने की लाइन अगर लिख दी

उसको आप तोड़ मडोड़ नहीं सकते और कोशिश, भूल कर मत कीजयेगा ....

काम छोड़ देगें पर लाईन नहीं बदलेंगे ,कई बार होता है ऐसा ,एकदो शायरी की

किताबे लोग पढ़ के ,शायरी कहने के हकदार हो जाया करते हैं..

एक सिरिअल था, जो दूरदर्शन पे खूब चला था ,नाम था "जंगल बुक "

उसी सिरिअल का टाइटिलगीत गुलज़ार साहब का था .....चड्डी पहन के फूल खिला है ....

अब इस गीत में जो चड्डी शब्द था उसको रवि मोहन जी ....जो चिल्ड्रेन फिल्म से जुड़े थे

उनको अच्छा नहीं लग रहा था .....उन्होंने गुलज़ार साहब से कहा इस शब्द की जगह कुछ और

लिख दीजिये ....कहा लूंगी लिख दीजिये कुछ भी ....

गुलज़ार साहब ने कहा ......गीत चाहिए तो चड्डी के साथ ही मिलेगा ....वरना नहीं

आखिर उनको चड्डी पहनी पड़ी .....और आज तक, वह गीत कितना हिट है ........ ।

2 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

सही शब्दों का चयन गुलजार साहब से अच्छा कौन कर सकता है

L.R.Gandhi ने कहा…

सुतली से पतली है मेरी कमरिया ......यह गुलज़ार साहेब का ही कमल है।