बुधवार, फ़रवरी 10, 2010

९१ कोजी होम

अब सब कुछ एक जैसा हो गया मुझे चारो तरफ से घेर लिया गया है

मैं अपने आप से लड़ता हुआ यहाँ तक पहुंचा ......

जब वो मेरे पास रहते हैं ,मैं निश्चिन्त हो कर जीता हूँ . एक बार उन्होंने

मुझे अपने पास बुला कर कहा था ,इश्वर के भक्त हो ...इसीलिए मुझे तुम्हारी

चिंता रहती है . मैं निश्चित हो कर जीने लगा ,भक्ति भी बडी कमाल की है ,

आप से तभी दोस्ती करती है ,जब आप उस पर विस्वास करने लगते हैं .

और आप उसको अपने आप को समर्पण कर दो ...बस यही एक रास्ता है इस मार्ग पर चलने का

• .....आर यल मिश्रा

1 टिप्पणी:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

मिश्रा जी की बात में दम है...
नीरज