गुरुवार, फ़रवरी 11, 2010

मेरी कहानियां

मुझे ,उस औरत की शक्ल ,बार बार याद आ रही थी . उसकी साड़ी का रंग मेरी आखों में कौंध जा रहा था ।

उसका चेहरा मोम की मूरत जैसा था .....एक डर भी मुझसे चिपका हुआ था ...कहीं वह भूत तो नहीं था । मैं, मन

को समझाता हुआ सफ़र कर रहा था ......बस वेल्वाई में रुकी सभी लोग बस से उतर कर चाय आदि पीने लगे ,

मैं बस ही में बैठा रहा । बस बिलकुल ख़ाली हो चुकी थी ,तभी एक औरत बस में चढी ,उसके चेहरे पे घूँघट था ।

मैंने उसे देखा तो ,,उसकी साड़ी का रंग बिलकुल वैसा ही था ,जिसकी मैंने कुछ देर पहले डेड बाडी देखी थी

वह औरत ,पीछे की सीट पे जा कर बैठ गई ,अभी भी उसने घूँघट किया हुआ था । मैं उसका चेहरा

देखना चाहता था । बस में धीरे -धीरे यात्री आने लगे ,बस भर जाने के बाद छूटी । कंडक्टर ने पैसेंजेर गिनना शुरू

किया ,फिर जोर से चिल्लाया ,एक कौन आया है ? जल्दी से अपना टिकेट ले ले ,मुझे तो मालूम ही था कौन आया

है अभी -अभी ,मैंने छुप कर उस औरत को देखा ,वह चुप चाप गुमशुम हो कर बैठी ही रही । कंडक्टर सब को देखते

हुए पीछे उस औरत के पास तक गया ....मैं जान गया यह भूत नहीं है , तभी बस झटके से रुकने लगी ....और सड़क के

एक किनारे बस रुक गयी ....और वह औरत वहीं उतर गयी ....कंडक्टर कुछ बोल नहीं पाया । सभी लोग देखते

रहे कोई किसी से कुछ नहीं बोला ....बस फिर चल दी ,तभी एक पैसेंजेर कहने लगा "यह औरत रोज ही ऐसा

करती है ,आज तक इसकी सूरत किसी ने नहीं देखा है ....किसी को कुछ नहीं कहती ,बस अपने आप रुक जाती

है यह औरत उतर जाती है ...फिर बस चल देती है ......... । अब मैं सच मुच डर गया । मैंने उस आदमी से पूछा

कोई भूत वूत तो नहीं है ? भूत नहीं है एक सुंदर आत्मा है जो रोज मैके से ससुराल जाती है ...... ।

लोग ऐसा कहते हैं ,बहुत साल पहले ,एक आदमी ने अपनी पत्नी को मैके पहुंचा दिया ............,

और फिर लेने नहीं गया .....वह औरत उस दुःख को बर्दास्त नहीं कर पायी और अपने ही गावं के कुए में कूद कर

मर गयी ....तभी मैंने उससे पूछा उस गाँव का नाम क्या था ? उस आदमी को याद नहीं आया और सोचने लगा ॥

मैंने अपने ससुराल के गावं का नाम बताया ....हजपुरा यह सुन कर वह बोल पड़ा ...हाँ हाँ हाँ यही नाम है आप को

कैसे मालूम .......सभी यात्री मेरी वोर देखने लगे ......मेरी ससुराल भी इसी गावं में है ....सभी ने मेरी तरफ से अपने

अपने चेहरे हटा लिए ....मुझे सभी दुसरा भूत समझने लगे ।

1 टिप्पणी:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

कमाल की कहानी...अप्रत्याशित अंत...वाह
नीरज