गुरुवार, फ़रवरी 18, 2010

दादाजी

मुझे आज तक दादा जी के नाम से ही जानते हैं ,बहुत नामचीन थे ,देश का वह ईनाम भी जीत चुके थे .......जिसे जीतने के लिए ,बहुत मेहनत करनी पड़ती है . उन्होंने बहुत सारी कहानियाँ ,गीत फिल्मों के ,कवितायें ....कहाँ नहीं छपे ...सरकार उन्हें पेंसन भी देती थी .....उनका कमरा आज भी वैसे ही रखा हुआ है सजा के ,हम सब लोगों को कुछ पैसे भी मिलजाते हैं ,जब भी न्यूज चैनल वाले आते हैं ,पिता जी ने अपना एक रेट तै था .

एक दिन ,दादा जी के कमरे की सफाई कर रहा था ,दादा जी के कमरे की सफाई करने का जिम्मा मेरा था .कमरे में रखी हर ट्राफी को चमकाना पडता था .दो रोज बाद जो आज तक ,वाले आ रहे थे . दादा जी चप्पले जुते भी साफ़ करने पड़ते थे .दादा जी बहुत शौक़ीन किस्म के थे . उनकी किताबे फाईल भी साफ़ कर के रखना पडता था ,कईबार उनकी किताबों में कुछ अलग किताबे मिल जाती थी जिनकों हम लडके छिपा कर पढते हैं . अक्सर मैं उनकी किताबों को उलट पलट कर जरूर देखता था

आज उनकी किताबों में एक फिल्म हिरोइन की फोटो मिल गई ,और फोटो को देखता रहा ,यह मधुबाला जी फोटो थी और फोटो के पीछे उर्दू में कुछ लिखा था . जिसे मैं पढ़ना चाहता था . मैंने वह फोटो छिपा के रख ली ,किसी उर्दू जानने वाले से जानूंगा

4 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

किसी दिन मेरे पोते को भी मेरी आलमारी से मधुबाला की तस्वीर मिलेगी...ब्लॉग पर तो है ही...
नीरज

अजय कुमार ने कहा…

कोई उर्दू का जानकार मिला ??
अरे अंदाजा ही लगा लीजिये ,

Pawan Kumar ने कहा…

kya khoob likha.....bhangaar saab kamal ka likhte hain aap

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

मैं उर्दू जानता हूँ आप उसकी कापी
मेरे ब्लाग पर पोस्ट कर दें वैसे
भंगार शब्द का अर्थ क्या है ?