कल जो बीत चुका है ......१८ अगस्त ....गुलज़ार साहब का जन्म दिन था ....
......आज के दिन कहीं बाहर चले जाते हैं .....
उनके मैनेजर श्री कुट्टी साहब सब की बधाईयाँ स्वीकार करते हैं
और गुलज़ार साहब जब बाहर से लौट के आते हैं एक साथ दे दिया जाता बधाई सन्देश
मैं तब उनको बधाई देने जाता हूँ जब वह बाहर से लौट आते हैं ......
गुरु हैं ......घर जाना पड़ता हैं और उपहार में कुछ लिखने के लिए
नोट बुक देता हूँ .....जिन पर वह साल भर .....अपनी कविताओं को
को जोड़ते हैं .....
और साल के अंत में कभी कभी बात चीत के दौरान बताते हैं
तुम्हारी नोट बुक में यह -यह लिखा .......
तब बहुत अच्छा लगता है .....जैसे मैंने नोट बुक दी तो उन्होंने कुछ लिखा
..........नहीं .....तो क्या नहीं लिखते ??
.........मैं तो देखता हूँ .....जैसे उम्र तो बढ़ रही हैं ......लेकिन वह
वैसे के वैसे ही हैं ......
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