मंगलवार, अक्तूबर 26, 2010

९१ कोजी होम

एसेल स्टूडियो जो सीन सूट हो रहा था ,उसमें संजीव कुमार और पद्मा चौहान थे ।

सीन कुछ इस तरह क़ा था ,रात जब संजीव कुमार अपने घर पहुंचता है ......तो

पत्नी दरवाजा नहीं खोलती ,तब वह पद्मा चौहान के घर आ जाते हैं । वह अकेली रहतीं हैं

पद्मा ,उन्हें पहनने के लिए....अपनी साड़ी देतीं हैं ....संजीव कुमार उसे लुंगी की तरह पहन

लेते हैं ।
सीन सूट हो रहा था ....मैं सेट पे था .....तभी ड्रेस मैन मेरे पास आया और

कहने लगा .........सर आप को मौसमी जी बुला रहीं हैं .......?...मौसमी ......!आज वह

शूट पे कहाँ हैं ?......आज उनकी डेट हमारे पास नहीं है .......!

सर .....लेकिन वह आप को बुला रहीं है .......मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था ........

ठीक है मैं आता हूँ तू चल .......वह चला गया

शाट ख़तम हुआ ....अगले शाट की लाईटिंग शूरू हुई ........मैन ड्रेस रूम में पहुंचा ......ड्रेस मैन

ने तब मुझे पूरा किस्सा बतलाया ........ ,कहने लगा मौसमी जी गुस्सा कर रहीं थी ...

उनकी साड़ी ....हमने संजीव कुमार को पहनने क्यों दे दी ?मुझपे नराज़ हो रहीं थी ,मैंने कह

दिया आप के कहने ......मैंने साड़ी दी थी .........उनकी साड़ी कैसे हो गयी .....यह सब तो हमारे

निर्माता की है .......

हुआ कुछ यूँ ......फिल्म जब शूरू हो रही थी ....मै मौसमी जी से ड्रेस की बात

करने गया .....मौसमी जी ने कहा मैं अपनी ही साड़ी पहनूंगी .....और मुझसे दाम के दस् हजार

रूपये ले लिए ....... ।

मैंने कहा आप अपनी पसंद की पांच - छे साड़ियाँ हमारे ड्रेस मैन को दे दीजिये ,जो हमारे

पास रहेगी ...... मुझे अन्दर की बात नहीं मालूम थी .....पैसा भी ले लो और अपनी

साड़ी भी बाद में वापस भी ले लो ..........इस तरह की उनकी सोच थी ......जिसे मैं जान नहीं

पाया था .......

मौसमी जी से मैं उनके मेकप रूम में मिला ......जैसे मैं पहुंचा ...वैसे ही शूरू हो गयी ...

.......हाउ डेयर यु ...कैसे तुमने मेरी साडी दी ....संजीव कुमार को (वैसे वह उन्हें हरी भाई

कहती थी ) ........

.......यह तो हमारी साड़ी है ,जिसके मैंने आप को पैसे भी दिए हैं ,और जो कुछ भी कहना है

वह आप गुलज़ार साहब को कहें .......उनकी ही इज्जात से ही मैंने ही दिया ....यह शिकायत

आप उन्हें ही कहें ........वह बडबडाती रहीं ,मैं कमरे से वापस सेट पे आ गया ....

.....मुझे मालुम था ,,,,उनकी हिम्मत नहीं है गुलज़ार साहब से शिकायत करने की .......

इस घटना के बाद जब भी सेट पे आती मुझसे बात नहीं करती .......उनका मेकप मैन मुझसे

बात करता ......मुख्य सहायक एक ऎसी कड़ी है .....जिससे एक्टर नराज नहीं हो सकता ......

........ख़ास तौर पे गुलज़ार साहब के मुख्य सहायक क़ा .......सेट पे बहुत रौब रहता है ......

गुलज़ार साहब क़ा मुख्य सहायक बनने के लिए मुझे करीब आठ साल इन्तजार करना पड़ा

था ।

एक फिल्म को बनते -बनते ,कुछ मीठी -खट्टी घटनाएं हो जाया करती हैं

जो सारी जिन्दगी याद रहती हैं .....हम लोग फिल्मीस्तान स्टूडियो में शूटिंग कर रहे थे

सेट लगा था ,होटल के बाहरी हिस्से क़ा ......इम्पीरियल होटल ....संजीव कुमार के आने

जान शाट लिए जाने थे । गुलज़ार साहब एक शाट कैमरा मैन को मुझे समझा के किसी काम

से बाहर चले गये ,कोई सेट से बाहर आया था उससे मिलने .....

लाईटिंग शुरू हो गयी .....आधा घंटा लग गया .......लाईटिंग करते -करते

गुलज़ार साहब जब बाहर से आये ...........जिस तरह क़ा शाट बता के गये थे .....उसकी लाईटिंग

नहीं हुई थी .......उनका गुस्सा मुझ पर उतरा .......जानते हैं उन्होंने क्या कहा .....आई बिल सलैप

यु ....यह शाट बता के गया था .....हम सभी चुप हो गये ....इस तरह क़ा गुस्सा आज तक हम ने

नहीं देखा था , मैं चुप हो गया .....और सेट से बाहर जा के बैठ गया ....शूटिंग चलती रही

....इतना नराज होना गुलज़ार साहब की आदत नहीं थी और फिर तरह से पेश आना ....

....मैं भी नराज हो के बाहर बैठा रहा ....शूटिंग पैक अप हो गयी ......सुन्दर गुलज़ार साहब क़ा

ड्राईवर मेरे पास आया और कहने लगा .....आप को साहब बुला रहे हैं .......मैं कुछ नहीं बोला ,

तभी गुलज़ार साहब भी आ गये .....और मुझसे कहने लगे घर ही चल रहे हो ....चलो मैं छोड़ देता हूँ

.......मैं चुप चाप उनके साथ जा कर ,उनकी गाड़ी में बैठ गया ........

कार चल दी चार बंगले की तरफ .......फिर कहने लगे भाई .......मुझे माफ़ कर देना

रामलाल, मैं इस तरह की जबान नहीं बोलता ........कैसे बोल गया ......

मैंने उनकी तरफ देखा ....उनकी आँखे भर आयी थी ......मैं जैसे गुनाह गार हो गया अपने गुरु की आँखों

में आंसू ले आया .....मैं सिर्फ इतना ही बोल पाया ......भाई मुझसे सच में गलती हो गयी थी ....

मेरा घर आ गया ........कार से उतरा और घर की तरफ चल दिया ....

कल सुबह सात की शिफ्ट थी ........

इसके बाद आज तक मुझे कभी नहीं डांटा ........................






2 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

अच्छा है ,जारी रखिये ।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

कलाकारों की मानसिकता का पता चलता है आपकी पोस्ट से...और गुलज़ार साहब की महानता का भी...

नीरज