सब छूटा बारी -बारी
चूल्हा -चौका ,चक्की ...
सर क़ा पर्दा भी सरक गया
सीने से पल्लू उतर गया
नाभी दिखा के मोह में फांस्ती
कहाँ तक क्या -क्या दिखाए गी नारी
अब बस भी करो .......
वरना बेटा भी तुम्हारा आँख गड़ा के देखे गा
माँ कहने पे ........वह झिझके गा ......
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