मंगलवार, जुलाई 05, 2011

मेरी पहचान क़ा कोई मिलता ही नहीं ॥
किससे दर्द व्यान किया जाय ....
बहुत पहले की बात है .............
घर में आटा पिसाने के पैसे नहीं थे ...
बड़े बेटे के नाभी पे एक क़ा सिक्का बंधा
हुआ था पत्नी ने वह उतार के आटा पिसवाया
तब कहीं जा कर शाम को रोटी मिल पाई

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