मंगलवार, जनवरी 31, 2012

बिगेस्ट लूजर

एक पिता सबसे बड़ा लूजर होता है इस संसार में ...
जब बुढ़ापे में उसका बेटा ,उसके ही घर से भगा देता है
उसे ............
यह सब देख के मैंने अपना सब कुछ एक अनाथालय को देने
क़ा विचार कर लिया है .....यह सब कुछ मैंने अपने आप तक ही रखा है
दिन बीतने लगे ...बेटे बेटे नहीं रहे दुश्मन हो गये ....एक रात मैं चुपके
से उस अनाथालय में जा का रहने लगा ......
बेटे बहुए बहुत खुश बुढा टला तो सही .............मैं भी बहुत खुश अपने हम उम्र
को पा के .....हर किसी के पास एक कहानी है...............
हर सुबह किसी एक की कहानी सुनते ..........
मेरा भी एक दिन आया .....अपनी कहानी सुनाने क़ा दिन .................
मैंने कैसे भी कर के अपना दिन टाल दिया ......आज सुबह ही मैंने अखबार में पढ़ा
मेरे बेटे ने वसीयत सुन के ......
इतना दुखी हुआ की उसकी मौत हो गयी ...............
आज मेरी ८० जन्म दिन है ......मेरे पोते मुझ से नफरत करते है
वह कहते है मैं ही उनके पिता क़ा कातिल हूँ

पता नहीं कब तक ज़िंदा रहूँ गा .........इस दर्द को लपेटे हुए

कोई टिप्पणी नहीं: