चंद्रमुखी ...........यही उसका नाम था ,पेशा उसका वेश्या गमन ।
मुझे कुल्लू में मिली थी ,मैं अपने दोस्तों के साथ घूमने गया था ,
उस दिन हम दोस्त रोहतांग पास गये थे ....यहीं से व्यास नदी
क़ा उदगम है उस जगह उस जल को हम सभी ,थोड़ा -थोड़ा लेकर पी
रहे थे यह बात सन ७९ की है । यहीं मेरी पहली मुलाक़ात हुई थी ,
बिलकुल फिल्मी अंदाज में ..........खूबसूरत तो ओ थी ही ..हर किसी
की नज़र उसी पर थी ..सभी उसे चुपके से देख लेते थे ,और किसी बहाने
से उसको करीब से देखने के लिए पास से गुजरते थे .....
उस समय उसकी उम्र करीब बीस की होगी .....मुझे किसी ने बुलाया
.......सुनिए ....मैंने घूम के देखा तो वह मुझे ही बुला रही थी ...
मैं उसके करीब पहुंचा .....कुछ बोले इससे पहले मैंने उसकी आँखों में झाँक के
देखा .....लगता था रात भर सोई नहीं थी ......
उसने मुझे एक कपड़ा दिया ...और कहने लगी इसे पानी से भिगो के दे दीजिये
...............एक छोटा सा टावल था ...मैंने व्यास के उद्दगम से भिगो के दे दिया
...उसने ....एक छोटा सा थैंक दिया ....टावल देते समय फिर मैंने उसकी आँखों में
झांका .................. ।
फिर उसके पास ,एक आदमी आया और उससे बात करने लगी ...साथ -साथ
उस भीगे टावेल से मुंह को पोछती रही ....वह कौन थी यह तो मुझे कई सालों बाद पता
चला था ......पर उस वक्त वह उस आदमी की पत्नी ही लग रही थी ......हम सभी दोस्त
चल दिए उस जगह से .......
रात में हम सभी पी रहे थे ,और ज़िक्र उसी क़ा ही हो रहा था ....उसकी खूबसूरती
हमारी आँखों में बस गयी थी ........
दूसरे दिन मुझे एक शाल लेना था माँ के लिए , मनाली से मैं कुल्लू आया .........
दूकान दार जबरदस्ती मुझे खींच -खींच के अपनी तरफ बुला रहे थे .....एक दूकान में गया
शाल ली .....और चल दिया मनाली की तरफ ......मैं अकेला ही था दोस्त लोग होटल में ही थे
.....बस में बैठा ......तभी मेरी नज़र सामने की सीट पे गयी ,वह लडकी बैठी थी ....अभी
वो अकेली थी उसका पति नजर नहीं आ रहा था .....बस चलने वाली थी ....पर वह अकेली ही थी
तभी कुछ लड़के बस में चढ़े और एक लड़का उसके पास जा के बैठ गया ......मुझे लगा इसके पति
क़ा भाई होगा .......बस चल दी
मैं चुप -चाप पहाड़ों की सुन्दरता को देखता रहा ......एक दो बार मेरी नज़र उस लड़की पे गयी
वह लड़का उससे खूब चिपक के बैठा हुआ था और वह खिडकी से चिपकी हुई थी .............
लड़कों में हंसी मजाक चल रहा था ......वह लड़की एक झटके में उठी और एक जोर क़ा झापड़ जड़
दिया उस लड़के को ....मैं कुछ समझा नहीं यह सब क्या हो गया ....और गुस्से में आ के मेरे बगल
आ के बैठ गयी ......
मुझसे कहने लगी शर्म नहीं आती ......लडके सकपका गये ,जैसे वह मेरे साथ है ...............
मनाली में बस खडी हुई उसने फिर मुझे थैक्स दिया और भीड़ में में कहीं खो गी ............
मैं तो अपने होश में ही नहीं था ...एक एहसास मेरे साथ उसकी खूबसूरती क़ा चिपक गया था
यह बात मैंने अपने दोस्तों को नहीं बताया ...........छुपा के रखा .....
इस घटना के बाद वह नहीं मिली ....कहाँ से आयी थी ...नहीं मालूम
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