उसकी जिद्द थी ,उसको एक बेटा चाहिए ,कई बार शंकर ने पूछा ,और समझाया
.....हमें भगवान् ने दो बेटियाँ दी हैं ,इन्हीं को हम पाल पोश ले यही हमारे लिए
बहुत बड़ी बात है ..........निम्मों को समझाना ,शंकर के लिए बहुत मुश्किल काम
था ........निम्मों की जिद्द के आगे शंकर को हार माननी पड़ी ...और शुरू हो गया
पुत्र पाने के उपाय ,दवाएँ खाने लगी ,जिससे पुत्र ही हो बेटी ना हो .....................
कुछ महीनों बाद निम्मों पेट से हो गयी .........
निम्मों को य़कीन हो गया ................उसको बेटा ही होगा ,कई मन्नते
मान चुकी थी बेटे के लिए ......और खुद से कहती मुझे अगर बेटा ना हुआ तो ........मार
डालूंगी बच्चे को ......उसके तेवर देख के शंकर उसका पति भी घबरा गया था ...........
निम्मों डाक्टर से मिली .......और चेक अप कराया की उसको बेटा है या बेटी
डाक्टर ने बताया ......उसको बेटा ही है ....इस ख़ुशी को अपने में इतना भर लिया
जैसे इस संसार में यह पहली स्त्री है जिसको बेटा हो रहा है .........
एक -एक दिन बीतने लगा .....अपने बढ़ते हुए पेट को देख के बहुत खुश
होती अपनी बेटिओं को उनके भाई के बारे में बताती .....उसका नाम सोचती ...............
बहने भी बहुत खुश थी उनको एक भाई मिल रहा है .............
बेटे के आने की तैयारी में ..........पालना खिलौने , आदि सब इकठा कर लिए गये
निम्मों अपने पेट को सहलाती हुई अपने बेटे से बात करती .....बेटिओं को भी समझाती
भैया के साथ कैसे खेलना ,,,,,,,,बेटियां भी बहुत खुश थी उनकों एक भाई मिल जो रहा था
जिसे वह राखी बांधेगी ..........
एक सुबह निम्मों को लेबर पेन उठा ....शंकर हॉस्पिटल ले गया ........कुछ ही देर में
उसको बेटा हो गया ......निम्मों अपने बेटे को देख के बहुत खुश हुई ..............
बेटा भी बहुत सुन्दर था बिलकुल माँ पर ही गया था ..........नाक -नक्श देव तुल्ल्य थे ..........
इतना सुन्दर बेटा देख के .........कुछ लोग शक की नज़र से देखने लगे निम्मों को
...........निम्मों अपने बेटे को किसी को देखने नहीं देती ...हमेशा काला टिका लगा के रखती
किसी की नज़र ना लग जाय .............धीरे -धीरे बच्चा बढने लगा बच्चे के आते ही शंकर को
व्यापार में बहुत फायादा हुआ ......बेटा बहुत भाग्यशाली था ......
कुछ महीनो बाद बच्चे की कुंडली बनी ...............बहुत भाग्य शाली है ..........बस दस
सालों तक.......... पंडित जी ने बताया ....आगे की बात वह बताना नहीं चाहते थे जैसे कुछ
छिपाना चाहते हों
शंकर ने पूछा पंडित जी आप कुछ छिपा रहें है .......................?
पंडित जी ने कहा ..........छिपाने जैसा कुछ नहीं है .......आप इसे गंगा जी में प्रवाहित कर दे
तब तो आप सभी लोग बच सकेगें ...............वरना दस साल की इसकी उम्र तक आप सभी लोग
मर जायेगे ..................
शकर ने पूछा कोई उपाय है जिससे इस मुश्किल से दूर हो जायं
उपाय तो बताया ................. बस और कुछ नहीं कर सकते हैं
पत्नी ने कहा ...........हमें दस साल की जिन्दगी चाहिए ......अपने बेटे के साथ ............
शंकर और निम्मों में मनमुटाव रहने लगा ...............
पति-पत्नी जिन्दगी नरक जैसी हो गयी ...........
पत्र का सुख कहीं खो चुका था .....................
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