उसे परवल की शब्जी से बहुत चिढ थी , अक्सर उसकी पत्नी इसी की तरकारी
बनाती थी और उसे जबरदस्ती ही खाना ही पड़ता था ....धीरे -धीरे इसकी आदत ही पड ही गयी
अब उसे परवल की शब्जी के अलावा कुछ अच्छा ही नहीं लगता .......इस आदत को पाने
के लिए उसे करीब पांच साल लग गये .........परवल को वह बहुत ढंग से बनाती थी ......एक दिन
उसने परवल के बीजों की शब्जी बनाई .......परवल का चोखा ,परवल की कलौंजी , सब मैं खा ही
चुका था आज उसके बीजों की शब्जी खा के बहुत मजा आया .......
आप सोच रहे होगे .......मैं क्या बकवास कर रहा हूँ ......कोई कहानी ......कहूँ
ऐसा आप सोच रहे होंगे ........
तो कहानी भी है परवल की है ........अब मैं ही परवल की शब्जी बनाता हूँ ...............पत्नी नहीं बनाती है ...............
वजह है परवल जैसे ही वह छिलने लगती है .......उसकी उंगलियाँ सुन होने लगती है
इसी वजह से वह नहीं बनाती है ........और यह सुन होना कई घंटों तक रहता है ...................
इसी लिए मैं ही परवल तरकारी बनाने लगा .............
कुछ महीनों में परवल मेरा दुश्मन ही बन गया ...........मेरी पत्नी खा नहीं सकती थी
खाने के बाद उसका मुहँ सुन हो जाया करता ..........अब तो परवल आना बंद हो चुका था
घर में शब्जी खाना तो दूर की बात थी ........लेकिन मेरा परवल से इतना लगाव हो चुका था
की मैं खाने के लिए .........किसी होटल में जाता था और खा के आता था ............जब मैं खा के
आता था ,पत्नी को पता नहीं कैसे पता चल ही जाता ...................
एक रोज की बात है .........मेरी पत्नी ने खुल के कह ही दिया ,जब भी आप परवल
खा के आते हैं ..........मेरा मुहँ सुन हो जाता है .....मैं समझा नहीं .....मेरी पत्नी ने मेरे कान में
जो कुछ कहा मुझे यकीन नहीं हुआ ............मुझे लगने लगा कहीं कोई कुछ गड़बड़ तो नहीं है
पर कुछ ऐसा नहीं था ................कहीं मेरा प्यार कम होने लगा .....और परवल से बढने लगा
अब मैं अक्सर परवल खाने लगा और पत्नी से दूर रहने लगा ..............
यह मेरा पहला धोखा था उसको .......इसके बाद यह बढ़ता ही गया ,उस हद को पर गया ,जिसे कोई
औरत स्वीकार नहीं कर सकती .............
आखरी बार मेरी पत्नी ने परवर की शब्जी बनाई ...................फिर क्या हुआ
मुझे नहीं मालूम ....यही कहानी का अंत था.................................
..................................
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यह एक सच्ची कहानी है ......................
बनाती थी और उसे जबरदस्ती ही खाना ही पड़ता था ....धीरे -धीरे इसकी आदत ही पड ही गयी
अब उसे परवल की शब्जी के अलावा कुछ अच्छा ही नहीं लगता .......इस आदत को पाने
के लिए उसे करीब पांच साल लग गये .........परवल को वह बहुत ढंग से बनाती थी ......एक दिन
उसने परवल के बीजों की शब्जी बनाई .......परवल का चोखा ,परवल की कलौंजी , सब मैं खा ही
चुका था आज उसके बीजों की शब्जी खा के बहुत मजा आया .......
आप सोच रहे होगे .......मैं क्या बकवास कर रहा हूँ ......कोई कहानी ......कहूँ
ऐसा आप सोच रहे होंगे ........
तो कहानी भी है परवल की है ........अब मैं ही परवल की शब्जी बनाता हूँ ...............पत्नी नहीं बनाती है ...............
वजह है परवल जैसे ही वह छिलने लगती है .......उसकी उंगलियाँ सुन होने लगती है
इसी वजह से वह नहीं बनाती है ........और यह सुन होना कई घंटों तक रहता है ...................
इसी लिए मैं ही परवल तरकारी बनाने लगा .............
कुछ महीनों में परवल मेरा दुश्मन ही बन गया ...........मेरी पत्नी खा नहीं सकती थी
खाने के बाद उसका मुहँ सुन हो जाया करता ..........अब तो परवल आना बंद हो चुका था
घर में शब्जी खाना तो दूर की बात थी ........लेकिन मेरा परवल से इतना लगाव हो चुका था
की मैं खाने के लिए .........किसी होटल में जाता था और खा के आता था ............जब मैं खा के
आता था ,पत्नी को पता नहीं कैसे पता चल ही जाता ...................
एक रोज की बात है .........मेरी पत्नी ने खुल के कह ही दिया ,जब भी आप परवल
खा के आते हैं ..........मेरा मुहँ सुन हो जाता है .....मैं समझा नहीं .....मेरी पत्नी ने मेरे कान में
जो कुछ कहा मुझे यकीन नहीं हुआ ............मुझे लगने लगा कहीं कोई कुछ गड़बड़ तो नहीं है
पर कुछ ऐसा नहीं था ................कहीं मेरा प्यार कम होने लगा .....और परवल से बढने लगा
अब मैं अक्सर परवल खाने लगा और पत्नी से दूर रहने लगा ..............
यह मेरा पहला धोखा था उसको .......इसके बाद यह बढ़ता ही गया ,उस हद को पर गया ,जिसे कोई
औरत स्वीकार नहीं कर सकती .............
आखरी बार मेरी पत्नी ने परवर की शब्जी बनाई ...................फिर क्या हुआ
मुझे नहीं मालूम ....यही कहानी का अंत था.................................
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यह एक सच्ची कहानी है ......................
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