एक सवाल :
मुझे .......... वह खोजते हुए ,कहाँ ,कहाँ ,नहीं गया ,इस संसार के कोने ,कोने में गया..... मैं उससे नहीं मिल पाया ...
सुबह क़ा एक पहर बीत चुका था ,घर के बाहर बैठा हुआ बहु के हाथ क़ा बनाया हुआ हलवा खा रहा था ,वह कडा -प्रसाद
बहुत अच्छा बनती है .....अक्सर वह जब खुश होती है तो कडा-प्रसाद ही बनाती है ,और घी इसमें इतना होता है की
हाथ पैरो में लगा लेती हूँ (मतलब हाथों को पैरों से पोछ लेता हूँ )शाम तक हर किसी को मालूम हो जाता है आज फिर
मेरी बहु ने हलवा बनाया है .
वह मेरे सामने खड़ा था ,मुझे पहचानने को कोशिश कर रहा था ......मुझे वह दिख नहीं रहा था ,पर एक एहसास था
कोई मेरे पास खडा है वह मुझसे बाते कर रहा था ,उसकी आवाज मैं जरुर सुन पा रहा था ...लेकिन डर मेरे चारो तरफ
घिर गया था ....ऐसा लगने लगा जैसे यमराज आ गये हो ....और वह मुझसे बात कर रहे हो......मुझे लगने लगा मेरा अंत
आ गया हो ...और चलते चलाते आखरी बार मुझसे बाते कर रहे हों .......कुछ देर बाद गुस्से में चिल्ला के बोला अबे राम मैं ....
मनसुख हूँ ,यमराज नहीं ......थोड़ा सा मन शांत हुआ ...मरने का भय निकल गया ......
तभी मेरी बहु आ गयी ,मुझे इस तरह बात करते हुए देख के डर गयी .......मेरे हाथ से हलवे का कटोरा लिया ....दूध का ग्लास
पकड़ा दिया .....डरते हुए घर में गयी ...तभी मनसुख बोल पडा ,,,अबे बहु से तो मिलाना था ?मैं तेरा हलवा नहीं खा जाता .....
अब एक बात कान खोल के सुन ले आज के बाद से मैं यहीं ही रहूंगा ,जैसे तू खाता- पीता है ,वैसे ही मैं भी खाउंगा -पिउंगा
समझ ले दो थालियाँ लगेगी एक तेरी एक मेरी ......अभी तक मेरा डर थोड़ा बहुत जा ही चुका था ...यार पहले तू यह बता तू है
कौन और मुझसे क्या काम है ?
काम पूछ रहा है ,अगर बता दिया तो घर से बहु बेटे तुझे निकाल देंगे ....ऐसा कर्म किया है तुने पिछले जन्म में ......अब मुझे लग रहा था
जैसे वह भी मेरी चारपाई पे बैठ हुआ था ......सच कहता हूँ मुझे वह दिख नहीं रहा था पर उसकी आवाज पूरी सुनाई पड़ रही थी
.......इस बुढ़ापे में कुछ ऐसा नहीं सुनना चाह रहा था .......जिसे सुन के मैं अपनी नजरों में गिर जाऊं .....मैंने कहा ठीक है तुम मेरे साथ
रह सकते हो,लेकिन एक बात मैं नहीं कर सकता, दो थाली, दो कप चाय, दो बिस्तर, एक वैसे ही बहुत मुश्किल से मेरा गुज़र बसर
हो रहा है ...एक ही थाली में खायेंगे, एक ही बिस्तर पर सोयेगें, ...मनसुख ने यह सब मान लिया
अब मैं पहले से ज्यादा खाने लगा, सब कुछ ज्यादा ही करने लगा........बहू शक की नज़रों से देखने लगी, बहु बेटे को लगने लगा
मैं शायद पागल हो रहा हूँ ......मैं भी डरा सा रहता था ....मनसुख मेरे बगल ही सोता था, कभी मेरा पोता चाहता, मेरे बगल सोना यह उसे
चुटकी काट के रुला देता था .....तब वह भाग के माँ के पास जाता और मेरी शिकायत करता दादा जी मुझे चुटकी काटते हैं ,यह सब सुन कर बहु मेरी दुश्मन होने लगी ....मेरा बेटा भी यह सब कुछ सुनने लगा .. ..वह भी मुझसे गुस्सा करने लगा ,मनसुख की वजह से मेरे अपने परा ये होने लगे .......फिर एक दिन ऐसा आया .....बेटे बहु ने मुझे घर से निकाल दिया .....गुस्सा तो मैंने अपनी माँ का ही पाया था .....मैंने अपना समान लिया और घर से बाहर निकल आया ......मनसुख बहुत खुस था इस घटना से ......सडक पे आ के कहा अब तो मेरा साथ छोड़ दे ,तू अपने रास्ते मैं अपने रास्ते... मुझे अपना दोस्त कहता है यही सब दिखाना था ना .....
मनसुख बोल पड़ा तपाक से .....एक रास्ता है , कुंए में कूद के मरा था मैं ..... तू भी वही कर .... यह सुन के मैं डर गया यह साला मुझे मारना चाहता है...एक जिन्दगी कितनी मुश्किल से मिलती है और यह है की ,इसे ख़त्म कर देना चाहता है .
मैंने उसकी बात अनसुनी कर दी ......वह कहने लगा तू मुझसे दूर नहीं भाग सकता है ......
उसके साथ लड़ते -लड़ते वक्त क़ा पता ही नहीं चला ,अन्धेरा घिर चुका था भूख भी लग चुकी थी ,मैंने उससे कहा भूख लगी उसका इंतजाम करो ......यह सुन कर वह जोरों से हंसने लगा ....मैं उसकी हँसी को समझ नहीं सका ,गुस्से में बोल पड़ा तू इतना हस क्यों रहा
है ?मैं तो भूत हूँ मुझे खाने पीने की कोई जरूरत नहीं पड़ती ..........तो फिर मेरे साथ, मेरे घर में क्यों खाता था .?
हम आपस में यूँ ही झगड़ते रहे ......
सडक पे लोग मुझे पागल समझने लगे .....पुलिस पकड़ के ले गयी .....वह मनसुख भी मेरे साथ आया पुलिस थाने में ....
पुलिस वाले मुझे पागल समझ के लाये थे ......मैंने पूछा मनसुख से ...तू क्या चाहता है मुझसे ?मेरी जिन्दगी क्यों तबाह कर रहा है
घर से बेघर कर दिया ...पागल बना दिया ,जेल तक पहुँचाने क़ा ईरादा है क्या ?
मेरा बेटा आ गया ,मुझे थाने से निकाल कर ले गया ....घर आकर बहु से सब कुछ सच -सच बता दिया .......मनसुख कौन है ,
जो कुछ वह कहता है वह भी बता दिया ......मेरी बहु ने मेरे कान में एक बात कही ........मैं खुस हुआ और मनसुख को अपने जाल में
फंसाने की तैयारी करने लगा .........मनसुख पूछता रहा तेरी बहु ने क्या कहा ?मैं बस चुप रहा .......
अब मनसुख मुझ से डरने लगा ,मैं जरा सी बात पे डरा दिया करता था .....और अब तो मैं उससे बहुत सारे काम लिया करता था
जिससे मेरी बहु का भर भी कम हो गया ......घर में झाड़ू -कटका कराना बर्तन साफ़ करवाना ,कपडे धुलवाना ,और छोटे मुन्ने स्कूल तक
छोड़ के आना ,एक नौकर की तरह रहने लगा ......मेरी बहु ने इतना तंग कर दिया .....फिर एक दिन कहने लगा .......औरत बहुत महान होती है ,जो एक भूत से काम ले ले ,वह समझो किस से क्या ना करवा ले .....
...... कुछ दिनों बाद ...मनसुख जाने की बात करने लगा ......कहने लगा .मुझे जान दो राम भाई .....मैं अपने देस जाना चाहता हूँ
मैंने कहा मुझे बहु से पूछना पड़े गा ......बहु को एक मुफ्त में नौकर मिल गया था .....वह छोड़ना नहीं चाहती थी .....एक शर्त बहु ने रख दी
अपना असली रूप दिखाओ ,
मनसुख मान गया ......फिर जो उसने अपना असली रूप दिखाया .....वह एक कंकाल था ,जिसे देख के बहु बेटा पोता सभी डर गये ........फिर उसे तुरंत जान की इजाजत दे दी गयी .........
अब हम बहुत खुसी से जी रहे है किसी को यह घटना बताते है ,वह हम पे यकीन नहीं करता है ....सब झूठ समझता है
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