गुरुवार, मई 31, 2012


                 हम दोनों ,
हम दोनों जुडवा भाई थे ,वह मुझसे एक घंटा छोटा था ,इसलिए उसका नाम लखन था और माँ मुझे राम कह के बुलाया करती थी .
माँ हम दोनों भाईओं को बहुत प्यार करती थी . जब हम करीब चार साल के हुए ,हम दोनों को माता निकल आई (चेचक )मैं तो बच गया 
पर वह नहीं बच सका ...............फिर माँ ने मेरा नाम राम लखन रख दिया .....इसी नाम को लेकर मैं जीने लगा ,मरने से कुछ महीने पहले 
माँ ने इस राज को बताया था .....
 
  अब मैं उस सच को बता रहा हूँ ,जो अक्सर मेरे साथ होता था ......जब भी मैं किसी मुश्किल में फंस जाता था ,मेरा भाई उससे पार करा देता था 
यहाँ तक मुझे वह मेरे exam  में भी हेल्प कर दिया करता था ,यह सब तब मैंने किसी को नहीं बताया था ,माँ कहा करती थी हनुमान जी तेरी 
हेल्प करते हैं  ............मैं उनकी हाँ में हाँ मिला देता था ........मेरा भाई इसी तरह मेरे साथ खेलता रहा ....मुझे तब तक इस बात क़ा पता नहीं था की मेरा कोई भाई भी है ....मैं यही समझता रहा ,कोई और लड़का जो मुझे हेल्प करता है .....आज उन्हीं पुरानी यादों को जोड़ने की कोशिश कर रहा हूँ .....आज याद कर के बहुत अजीब सा लगता है .....आज भी वह मेरे साथ कहीं रहता है ......

        एक बार की बात है ....मेरी शादी हुई ...मैं अपनी पत्नी के साथ कमरे में था ..किसी काम के सिलसले में बाहर गया ......जब थोड़ी देर बाद 
जब वापस आया ...... मेरी पत्नी मुझसे पूछने लगी ..तुम्हारा कोई छोटा भाई भी है ....मैंने न में सर हिला दिया ........पत्नी कहने लगी पर जो अभी मेरे पास आया था अपने आप को तुम्हारा भाई  बता रहा था .........मैं कुछ समझा नहीं ,कुछ सोच के कहा अरे मेरे मामा का लडका होगा ,वही तुम्हे भाभी कह रहा होगा .....यह बात आई गयी हो गयी ...

           फिर मेरे जीवन में एक और घटना घटी ,मैं आफिस के काम से दिल्ली गया था ....घर पे मेरी पत्नी और चार महीने क़ा बेटा मुनीष था 
एक रात मुनीष की तवियत खराब हो गयी .....रात क़ा कोई दस बजा हुआ था .....मेरा छोटा  भाई आया ...पत्नी उसे  मेरे मामा क़ा लडका  समझती थी ....उसी के साथ वह हॉस्पिटल गयी मुनीष का इलाज हुआ .....

जब मैं वापस आया तब पत्नी ने यह सब कुछ बताया ......मुझे मालूम था .....मेरा छोटा भाई लखन ही आया होगा ....जो अभी तक भूत की योनी में फंसा पडा हुआ है ..........मैंने पत्नी की बात में हाँ मिलाया ...........दो चार दिन बाद मेरे मामा का लड़का जो मुझसे दो साल छोटा था जिसका नाम नरेंद्र था ......वह मेरे घर आया और जिसे मैंने मामा का लड़का कह के मिलाया ....वह मेरी पत्नी से पहली बार मिल रहा था ......
            पत्नी को फिर जा के समझ आया ......वह आदमी जो उसे हॉस्पिटल ले कर गया था वह कोई और ही था ............पत्नी अपनी उलझन में और उलझ के रह गयी ......और पत्नी ने जो बताया की वह लड़का अक्सर आता है उसके  पास और यह भी कमाल है वह तभी आता है जब मैं घर पे नहीं होता  हूँ .....अब वह डरने लगी ...उस लड़के से जो उसे भाभी कह के बुलाता है जिसे वह मेरे मामा का लड़का समझती थी ...

अब अक्सर जब भी कहीं जाता हूँ वह डरती रहती है .....कहीं वह लडका न आजाये ......माँ गाँव में रहती थी ....इस बात क़ा जिक्र माँ से मत करना मैंने पत्नी को समझा दिया .....माँ के मरने के बाद ही मेरे लखन भाई क़ा राज खुला ....उससे पहले तक मैं भी डरता रहा था ....

              मेरी पत्नी क़ा डर दिन बाद दिन बढ़ता ही जा रहा था ...मैंने झाड -फूंक वालो को बुलाया था जो मुझे ठग  के अच्छा ख़ासा पैसा भी ले गया  ....मेरे भाई क़ा अब आना जाना कम हो गया था वह मेरी पत्नी के दर्द को समझ चुका था ......

           माँ मुझसे मिलने मेरे पास आयी उसे सारी कहानी बतलाई ,माँ रात को पूजा -पाठ कर रही थी तभी उस पे किसी भूत की सवारी हो गयी 
और जो कुछ मैंने सुना वह बहुत अजीब था ...माँ बहुत विनती कर रही थी ....बेटा तू अब दुसरा जन्म ले ले छोड़  दे अपने भाई क़ा साथ ....और मेरा भाई कह रहा था .....जब मेरे भाई इस जीवन से विदा होगा .....फिर हम दोनों भाई एक साथ कहीं जन्म लेगे .......और फिर साथ जियेगें 

           माँ के बहुत मनाने के बाद ....तू इसी घर में क्यों नहीं  जन्म ले लेता, अपनी भाभी की कोख से ?
उसको यह बात जम गयी ...........और यह सुन कर जोरो से हँसने लगा ..........कोई एक घंटे  के बाद माँ को होश आया ....
कोई एक साल बाद मेरी पत्नी पेट से हुई ...हम सभी खुश  थे ........मेरा भाई ...मेरा बेटा बन के मेरे पास आ रहा है ...........

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