शुक्रवार, मई 18, 2012

     गेस्ट हाउस ......
१) राजेश की पत्नी .....इन गर्मिओं की छुट्टी में किसी पहाड़ी पे जाने का मन बना रही थी ,पति से कहा ...वह भी मान गया .अब बस एक बात  की चिंता थी ट्रेन में टिकट नहीं मिलेगा बस का भी वही हाल है ........ एक ही रास्ता बचता है अपनी कर उठाओ और चल दो .......
किया भी हमने यही .....नीलम और राजेश ने अपना सूटकेस तैयार किया .......और अपनी ही होंडा सिटी से चलने का प्रोग्राम बनाया .......दिल्ली से शिमला सात से आठ घंटे का रास्ता है ..........

          हम दोनों दोपहर में न चल के शाम को चलने का मन बनाया ........कार का  टैंक फुल कराया आयल हवा भी चेक करा  लिया थोड़ा बहुत खाने का समान आदि भी ले लिया ......हमें मालूम था .......जब भूख लगती तब होटल खोजना बेवकूफी लगती है ......कैश भी थोड़ा रख लिया, कार्ड आदि सब हमारे पास था ही ........अब बेफिक्र हो के चल  दिए ..........

           एक घंटे  के बाद रात हो गयी .....रात में राजेश को कार चलने में मजा नहीं आ रहा था .........राजेश ने पत्नी से कहा रात क़ा खाना किसी ढाबे में खाते हैं .....नीलम भी मूड में थी .......कुछ दूर चलने का बाद कार चलते ,चलते बंद हो गयी .....राजेश ने कार लेफ्ट में लगा दिया और उतर .. कार देखने लगा .......इंजन का बोनेट खोला ....इधर उधर देखने लगा .....गाड़ी गर्म भी नहीं थी .....और कुछ  उसकी समझ में नहीं आ रहा था ......तभी एक आदमी बगल से गुज़रा उसने खुद ही पूछा ..........क्या हुआ साहब ...गाड़ी बंद हो गयी ......उसने 
कहा मैं देखूं ? राजेश ने हाँ में सर हिलाया ....उस अजनबी आदमी ने दो मिनट में  गाड़ी ठीक कार दी ......राजेश पैसा देना चाहता है( वह पैसा नहीं लेता और चल दिया )......दो मिनट में वह गायब हो गया राजेश कुछ नहीं समझ नहीं पाया ,कहाँ चला गया .....?

           राजेश कार ले कार आगे चल दिया  ,नीलम ने अपने पति से कहा ....उस मेकनिक का शक्ल देखी ..जैसे भूत हो .....हंस के पति ने जवाब दिया.... तुम्हे तो रात को सभी भूत ही नज़र आते हैं  ....पेड़ क़ा ठूंठ भी तुम्हे आदमी नज़र लगता है ......तभी नीलम चीखी .....देखो -देखो ......घबरा के राजेश ने ,सामने देखा .....एक आदमी उनकी कार के सामने आ गया .....जोर से ब्रेक लगाई  ......ऐसा लगा जैसा कोई उनकी कार के नीचे आ गया हो .........कार रोकी बाहर निकल के देखा .......कोई नज़र नहीं आया ,कार के आगे पीछे सब जगह देखा लेकिन कुछ भी नज़र नहीं आया ........नीलम से कहा यार कोई तो नहीं तुम ख्वम्खाह डरा देती हो ..........कोई तो नहीं है ....पर मुझे तो दिखा कोई कार के सामने आया .....

                 राजेश मुंह बनाते हुए कार स्टार्ट किया ......नीलम चुप हो जाती है वह समझ नहीं पाती ..पर उसने देखा था किसी को ....फिर चुप रही .....रोड पे एक मोटेल क़ा बोर्ड लगा हुआ था ......और राईट जाने को .....एक सिगनल बना हुआ था ...राजेश ने कहा पत्नी से .....चलो खाना खा लेते है इसके बाद काफी दूर बाद कोई होटल या मोटेल मिलेगा .....दस तो बजा ही गया .....जादा देर करने से क्या फायदा ....नीलम ने  हाँ में सर हिलाया .....पर एक बात है आप एक भी ड्रिंक्स नहीं लेगे ..........

दोनों कुछ देर बाद दोनों उस मोटेल में पहुंचे ......वहाँ के रेस्टोरेंट में कुछ लोग ही बैठे थे .....राजेश ने  कार पार्क की और मियां बीबी ने कोने की टेबल पे जा के बैठ गये ....थोड़ी देर बाद एक वेटर आया ,आर्डर लेने के लिए ...इसका मुहँ ढका हुआ था ,एक डरावने  मुखौटे से ......नीलम देख के हंस पड़ी .......फिर खाने क़ा आर्डर दिया .......राजेश ने एक पैग का आर्डर किया ,नीलम ने मना किया आगे चलने क़ा इरादा नहीं है क्या ?.  यार हम  लोग छुट्टियाँ मनाने जा रहे हैं या .......तीर्थ यात्रा पे जा रहे हैं .......नीलम चुप हो गयी .

                राजेश ने कुल चार पैग पिए ......वेटर जब आखिर में बिल ले के आया तो राजेश ने कहा ......भई वेटर  अपनी शक्ल तो दिखा दो ...जब वेटर ने अपना मुखौटा हटाया ........दोनों मियां बीबी उसकी शक्ल देख के डर  गये, यह तो वही मेकनिक है जिसने इनकी कार ठीक की थी ....

                 नीलम ने कहा यह तो वही मेकनिक है ,जिस ने हमारी कार ठीक की थी ........राजेश धुनकी में था वह  नहीं पहचान सका उस आदमी को ........कहने लगा ....नीलम बस करो यार यह सब ...कुछ देर बाद मैं भी तुम्हे ....भूत दिखने लगूँगा .....नीलम ने कहा रात क़ा बारह बज रहा गाड़ी चला लोगे ?.....यहीं रूम लेकर सुबह चलते है ?.....नीलम डर रही थी नशे में राजेश क़ा गाड़ी चलाना ......इसी लिए रूम की बात कार रही थी ......

                    दोनों मोटेल के मैनेजर के पास गये ...और रूम की बात करने लगे ....नीलम उस मैनेजर को देख के पहचान गयी थी यह तो वही आदमी जो कुछ देर पहले , हमारी कार के नीचे आ गया था ......पत्नी  नीलम पूरी तरह से डर गयी थी ......कुछ गडबड है ? राजेश नशे में था ,इस लिए वह कुछ समझ नहीं पा रहा था ........नीलम राजेश को कहने लगी, हम यहाँ से चलते हैं ...आगे किसी और होटल देखते हैं .....राजेश यहीं रुकने की जिद्द करने लगा, पत्नी ने गुस्से में कहने लगी हम लोग यहाँ से चलेगें ....यहाँ नहीं रुकेगें ...गाड़ी मैं चलाउंगी

                   यह लोग मोटेल के  बाहर आये ,कार के पास पहुंचे,  उसके  व्हील पंचर थे  ...यह देख के ,नीलम डर गयी .....उसकी समझ 
में कुछ नहीं आ रहा था .....कहाँ यह फंस गयी ......अब क्या होगा ? तभी मेकनिक आया और कहने लगा ........मेडम आप इतना डर क्यों  रहीं है ?  लगता है आप ने मेरे भाई को देखा होगा .....वह मेकनिक है ....कहीं आप ने उसे तो नहीं देखा ?" अक्सर लोग यह गलती करते हैं 

                    इतनी रात को जाना ठीक नहीं है .....यहीं रूम ले कर रहे ....मैं सुबह अपने भाई से मिला दूंगा ...तब आप को पता चलेगा हम दोनों भाईओं में कितनी एक रूपता है ,साहब नशे में हैं आप क़ा जाना ठीक नहीं है ......यहीं रहे, यह जीवन बहुत मुश्किल से मिलता है 
........तभी राजेश बोल पडा ,ठीक तो कह रहा .....जिद्द मत करो ,सुबह पाँच बजे निकल चलेगें .....नीलम ने पति  की बात मान ली ....एक कमरा लिया दोनों पाती -पत्नी कमरे में आ गये ......राजेश आते ही विस्तार पे  लेट गया ....कुछ देर में उसकी नाक बोलने लगी .....

                      नीलम की आँखों में नीद नहीं थी ....एक डर उसके अन्दर बैठ गया था .....नीलम अपने आप को समझाती रही ....कमरे की बत्ती बुझा दिया ..........और बिस्तर पे नीलम लेट गयी ......सोने की कोशिश करने लगी,राजेश गहरी नीद में सो रहा था  ,नक् उसकी बज रही थी खर्राटे  ऐसे ले रहा था .....इस शांत महौल में ,उसके खर्राटे से डर लगने लगा ....एक एक पल  नीलम को  घंटों की तरह बीतने लगा .......एक पल को, वह सोचने लगी ,क्यों न बाहर चल के देखें ...बाहर क्या हो रहा है ......

                          नीलम ने दरवाजा खोला ...और कमरे से बाहर आ गयी ,एक लंबा सा बरांडा .....जिसमें कोई नहीं है .....रेस्टोरेंट की तरफ गयी वहाँ भी कोई नहीं है .....सब तरफ , एक सन्नाटा पसरा हुआ था ....वह सोचने लगी ,कहाँ गये सभी लोग ,जब कोई नज़र नहीं आया .........कुछ सोच के वह कमरे में आयी .....बिस्तर पे राजेश नहीं था ......उसको लगा वह बाथ रूम में गया होगा .थोड़ी देर इन्तजार करने के बाद ....नीलम ने बाथ रूम में देखा ....वहाँ भी नहीं था .....अब वह डर गयी .......थोड़ी देर कमरे में बैठी रही ...सोचती रही शायद बाहर गये होंगे तो  आ जायेंगे .......पर ऐसा नहीं हुआ  ......

                              नीलम खुद ही कमरे से बाहर निकली ......पहले जैसा सन्नाटा  ही  था ......कुछ दूर पे कुछ लोग खड़े थे और एक आदमी को दफना रहे थे ....यह देख के वह वहाँ गयी ...एक हवा क़ा झोका चला और आदमी के चेहरे से कपड़ा हटा ............राजेश को देख के घबरा  गयी .....और चिल्ला -चिल्ला के कहने लगी यह सब आप लोग क्या कर रहें है .....यह तो जिन्दा है ..........सभी लोगो ने इसे पकड़ लिया ...और राजेश  को दफना दिया .......नीलम रोती रही ....कई जवान औरते आती हैं वह सभी विधवा है .......और कहती जो भी यहाँ आता ...जोड़े में ,उसके पति  को यह लोग दफना देते हैं 

                            नीलम रोते - रोते बेहोश हो गयी ....जब आँख खुली ....राजेश ही उसे जगा रहा था .....कब तक सोती रहोगी ,होटल पाँच बजे छोड़ना था .....नीलम उठी पति को देख के खुश हो गयी सब कुछ एक सपना  सा लगने लगा ...जल्दी जल्दी तैयार हुई ....दोनों मियां बीबी कार के पास आये कार तो ठीक है .....कार स्टार्ट की और दोनों शिमला की तरफ चल दिए .......नीलम बिलकुल चुप थी ,राजेश ने पूछा , ....क्या बात है बहुत चुप हो, क्या बात है ? .....मुझे तो बहुत अच्छी नीद आई सुबह ही आँख खुली .....तुम नहीं सोई थी क्या ?.....तुमको क्या ,तुम तो घोड़े बेच के सो रहे थे .....क्या बात करती हो ....मैं जब सुबह उठा तो तुम कोई सपना देख रही थी और रो रही थी ......फिर मैंने तुम्हे चुप कराया ...उसके बाद मैं बाथ रूम चला गया .......मुझे तो बहुत अच्छी जगह लगी ....वापस जब लौटेगें तो फिर यहीं रुकेंगे ....क्यों ?   ठीक है न ..........नीलम चुप ही रही ,कहीं उसको अब वह बातें झूठी लगने लगी ,जो कुछ रात उसने देखा था ..........एक 
स्वपन सा लगने लगा ..............कुछ सोच के नीलम बोली ....मैं रात भर सो नहीं सकी ,पूरी  रात जगती ही रही ........लेकिन तुम्हारे चेहरे से ऐसा तो नहीं लगता ...........

                 रस्ते में एक पेट्रोल पम्प से राजेश ने कार में पेट्रोल भराया ........और दोपहर एक बजे ,दोनों शिमला पहुँच गये .......एक होटल लिया ......दोनों थके हुए थे ......सोने का मन कर रहा था नीलम ने कहा पहले जा के नहा लीजये ....फिर कुछ थोड़ा सा खा के सोते हैं .......पति के बात समझ में आ गयी ......और वह जल्दी से नहाने चला गया .......

             नीलम बैठी रही और शूट्केस से अपने कपडे निकालने लगी ......तभी  वेटर कमरे में आया ......उसको खाने क़ा आर्डर दिया ,

                          रात का वक्त है .....यह लोग कहीं से घूम के आ रहे थे ......रात क़ा सन्नाटा बड़े -बड़े चीड के पेड़ ....उनसे टकरा के हवा एक अलग सी आवाज पैदा कर रही थी ....जिस से एक डर पैदा हो रहा था .........इन दोनों को कल सुबह ही वापस दिल्ली जाना  था ...दो दिन हो चुके थे ,शिमला में रह के ,

                           रात जब होटल में पहुंचे, तो मैनेजर को कहा.. उन्हें सुबह पांच बजे उठा देना .............पर होटल क़ा मैनेजर भूल गया और यह दोनों सोते ही रहे ....जब आँख खुली सुबह क़ा दस बज रहा था .......जल्दी -जल्दी तैयार हुए ...होटल बिल आदि चुकाया और चल दिए ...........

                  कोई चार बजे वही मोटेल मिला ....जिसमे जाते समय टिके थे ......वहाँ जब पहुंचे ......सब कुछ वैसा ही था ...लेकिन स्टाफ अलग थे जैसे होटल मैनेजर कोई और ही थी .......बात चीत में राजेश ने कहा .....रात को जो मैनेजर बैठते है वह नहीं है क्या ?
               जो आदमी काउंटर पे बैठा था .....वह कहने लगा .....साहब यह होटल शाम पाँच बजे बंद हो जाता है .......और रात भर बंद रहता है .......रात में यहाँ कोई रहता नहीं .......खाली रहता है .....आप किसी और होटल में ठहरे  होंगे ..........यह तो बहुत सन्नाटे दार ईलाका है ......अक्सर मुझसे यही बाते लोग  कहते है जो आप कह रहे हैं ......नीलम बोल पड़ती है, यहाँ भूत लोगों क़ा बसेरा लगता है .......
ठीक है ....आज मैं देखता हूँ...... आप रहने वाले हैं ?  नीलम ने पूछा ...........

                  जैसे -जैसे रात होने लगी .......  मोटेल का रंग -रूप बदले लगा ....राजेश और नीलम भी साथ थे ....पास के झाड़ों के बीच से  एक -एक भूत आत्माएं आने लगी और अपनी -अपनी जगहों को पकड़ने लगी .....यह मोटेल धीरे -धीरे गुलज़ार होने लगा ......मोटेल मालिक यह सब देख घबरा गया .....यह सब क्या है ......लेकिन यह भूत आत्माएं किसी को किसी तरह की तकलीफ नहीं देती है .

                     हम तीनो लोग भी  रेस्टोरेंट में बैठ गये ....एक वेटर आया हम लोगो से आर्डर लिया ...और वही सब खाना ले आया , हम लोगो ने पैसे भी दिए औए उन्होंने वापस भी किया  हम ने टिप भी दिया .......हम लोगो ने एक  कमरा भी लिया, सब कुछ पहले जैसा ही  हुआ ,लेकिन कोई भूत हमें पहचान नहीं रहा है ......

                    हम तीनो आदमी एक रूम जा कर बैठ गये ..........सुबह तक हम बात -चीत करते रहे सुबह जब आँख खुली ...फिर वैसा ही मोटेल बन गया जैसा कल शाम चार बजे था .....मैं और मेरी पत्नी ने मोटेल मालिक से बिदा ली और दिल्ली की तरफ चल दिया .............

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