सोमवार, जून 24, 2013

arjun


जिसने उन पर गोली चलाई थी वह कोई और नहीं ....उनकी ही चचेरी बहन का लडका था
.....
आपस में इतनी नफरत हो चुकी थी ....जब भी मैं गाँव आता ,मुझे सब कुछ समझा
दिया जाता ,,, गलती अर्जुन की  है वह अपने ही गाँव में एक अजनबी की तरह रहने लगा
इस घटना के बाद वह इतना डरने लगा ....अपने साथ एक सिपाही ले कर चलने लगा ......

     
अब पहले से ज्यादा दूर होने लगा हम लोगो से ......वह हर किसी को शक
की नज़र से
देखने लगा .....यहाँ तक मुझे भी गैरों की तरह देखने लगा .....उसका सबसे बड़ी वजह थी
वह परिवार जो  हमारे घर में रहता था ......

  अब जब भी गाँव जाता उससे मुलाकात नहीं होती थी .......वैसे भी एक दो रोज के लिए ही जाता था . उसने एक समझदारी काम किया था इस आपसी झगड़ों से अपने बच्चों को दूर ही रखा था कहीं बाहर रह के पढ़ते .........वक्त बीतने लगा अर्जुन दिन बाद दिन मजबूत रहा आठ -दस कोस के दायरे में उसका नाम हो चुका था ,लोग इज्जत से उसे देखते थे ,लोगो के काम काज में हेल्प कर दिया करता था 

     जितने उसके दोस्त थे उससे ज्यादा दुश्मन हो चुके थे ,इसी बीच किसी ने उनको मारने की धमकी दे डाली थी ,,,,,,,दस लाख रुपया दो वरना मौत के घाट उतार दिए जावो गे ......बहुत खोज बीन हुई .....नहीं मिला वह इंसान ....

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